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सूखे की मार से मवेशी भी बेजार-- पंकज चतुर्वेदी

भीषण सूखे से बेहाल बुंदेलखंड का एक जिला है छतरपुर। यहां सरकारी रिकॉर्ड में 10 लाख 32 हजार चौपाए दर्ज हैं, जिनमें से सात लाख से ज्यादा तो गाय-भैंस ही हैं। तीन लाख के लगभग बकरियां हैं। चूंकि बारिश न होने के कारण कहीं घास बची नहीं है, सो अनुमान है कि इन मवेशियों के लिए हर महीने 67 लाख टन भूसे की जरूरत है। इनके लिए पीने के पानी...

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अहम साल रहा 2015, घातक पर्यावरणीय बदलावों के लिहाज से

बीता वर्ष 2015 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. हालांकि, पिछले करीब एक दशक में कई वर्ष ऐसे रहे हैं, जो उस समय तक सबसे गर्म साल के रूप में आंके गये, लेकिन वर्ष 2015 को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि क्लाइमेट चेंज के लिहाज से विशेषज्ञों ने इसे 'टिपिंग प्वाइंट' करार दिया है. क्या इंगित करता है यह टिपिंग प्वाइंट, क्यों जतायी जा रही...

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पर्यावरण बचाने महिलाओं की पहल, छत पर जैविक खेती की तैयारी

संदीप तिवारी, रायपुर(छत्‍तीसगढ़)। परिवार को केमिकलमुुक्त साग-सब्जियां और फल खाने के लिए मिलें, पर्यावरण में सुधार हो, शुद्ध , ताजी, पौष्टिक और मौसमी सब्जियां घर में ही उपलब्ध होने से बीमारियां दूर हों और शुद्ध एवं ताजी हवा मिले। इस मकसद से राज्य की विभिन्न् महिला स्व सहायता समूह की दो लाख से अधिक महिलाओं ने घर की छत पर जैविक खेती करने के लिए बीड़ा उठाया है।   इसके लिए इंदिरा...

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85 साल की बुढ़ी हड्डियों में जवान हौसला-- दिलीप पोद्दार

पटमदा : इच्छा शक्ति मजबूत हो और जीवन में कुछ करने की तमन्ना, तो उम्र आड़े नहीं आती. युवा जो कभी सोच नहीं सकते, बुजुर्ग वैसे काम कर दिखाते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण बन कर सामने अाये हैं पटमदा के गाड़ीग्राम निवासी 85 वर्षीय अतुल सिंह. दिन-रात मेहनत कर साढ़े तीन वर्षों में अकेले सौ फीट चौड़ा और सौ फीट लंबा तालाब खोद डाला. पथरीली जमीन होने के कारण...

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सूखे से बेहाल बुंदेलखंड- भारत डोगरा

उत्तर प्रदेश हो या मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ हो या झारखंड, ओडिशा हो या आंध्र प्रदेश-देश के एक बड़े भाग को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया गया है। ऐसे क्षेत्रों में रोजगार कार्यों के अभाव में लोगों का दुख-दर्द बढ़ रहा है। बांदा जिले में नरैनी प्रखंड के घसराऊट गांव के लोगों ने बताया कि खरीफ की फसल तबाह हो गई, फिर सूखे के कारण रबी की बुआई कम हुई। इसके बावजूद...

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