- रात में भी खाना बेचने की मिली अनुमति, केवल दिन का भोजन ही सरकारी दर पर - धनबाद : मुख्यमंत्री दाल-भात योजना के तहत पांच रुपये में दिन का खाना खिला रहे केंद्रों पर अब नाश्ता एवं रात का भोजन भी बिकेगा. लेकिन सरकारी नहीं, बाजार दर पर. जानकारी के अनुसार दाल-भात केंद्र संचालकों द्वारा पांच रुपये में भोजन कराने में असमर्थता जताने के बाद राज्य सरकार ने वहां नाश्ता एवं...
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बीमार व्यवस्था में पिसते गरीब-- सुभाष चंद्र कुशवाहा
आज शिक्षा और स्वास्थ्य के व्यावसायीकरण के चलते गरीबों का जीना दूभर होता जा रहा है। आए दिन महंगी शिक्षा का खर्च वहन न कर पाने के कारण गरीब छात्र व्यावसायिक शिक्षा से वंचित हो रहे हैं और हताशा में खुदकुशी कर रहे हैं। इसी तरह अस्पतालों का खर्च न उठा पाने के चलते गरीब असमय मरने को मजबूर हो रहे हैं। दुखद है कि आम लोगों को शिक्षा और...
More »सुनो, मध्य वर्ग की आहट -शशि भूषण
अन्ना हजारे, सिविल सोसाइटी, सरकार और सर्वोपरि संसद समाजशास्त्री व अर्थशास्त्री जो लोग इन बड़े समाचारों के बीच उनके भीतरी आशय जानना चाहते हैं, उनके के लिए ये सब बहस के मुद्दे हो सकते हैं, किंतु आम लोग, लोकपाल या जन लोकपाल में कुछ फर्क भी है, यह जानने की जरूरत नहीं समझते. उन्हें बस इतना पता चल गया है कि एक पर एक मंत्री एक से आला भ्रष्टाचार के नये कीर्तिमान...
More »बिहार से सात गुना अधिक है दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय
नयी दिल्ली/पटना. योजना राज्य मंत्री अश्विनी कुमार ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय बिहार में प्रति व्यक्ति आय से सात गुना अधिक है। प्रश्नकाल के दौरान अश्विनी कुमार ने पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि दिल्ली में वर्ष 2010-11 के दौरान प्रति व्यक्ति आय ।,35,814 रुपए थी जबकि बिहार में प्रति व्यक्ति आय 20,069 रुपए थी। उन्होंने बताया कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के पहले...
More »हद से बाहर-सुधांशु रंजन
उच्चतम न्यायालय के हाल के कुछ निर्णयों को लेकर राष्ट्रीय बहस शुरू हो गई है कि अदालतों को नीतिगत मामलों पर फैसला करने का हक है या नहीं। कई राजनीतिक दल न्यायपालिका की सीमा तय करने के लिए संसद में बहस कराना चाहते हैं। इस मुद्दे पर 14वीं लोकसभा में भी बहस हो चुकी है और उसमें संसद को सर्वोपरि माना गया था। परंतु न्यायालय को समीक्षा का अधिकार है,...
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