जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
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खबरों का ग्रीनहंट! : अरुंधति राय
भारत सरकार एक ओर जब देश के गांवों में सेना और वायुसेना तैनात कर लोगों के संघर्ष को दबाने पर विचार कर रही है तो दूसरी ओर शहरों में कुछ विचित्र घटनाएं देखने में आ रही हैं। बीते 2 जून को मैंने मुंबई में कमेटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (सीपीडीआर) द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया। अगले दिन तमाम अखबारों और टीवी चैनलों पर इसकी सही कवरेज हुई। इसी दिन...
More »दाल से टूटता रोटी का नाता
नई दिल्ली [रमेश दुबे]। दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगभग दो दर्जन योजनाओं की असफलता के बाद केंद्र सरकार ने सीधे किसानों को ज्यादा कीमत देने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी की गई है। जहा अरहर के समर्थन मूल्य में सात सौ रुपये की वृद्धि की गई है, वहीं मूंग में 410 रुपये तथा उड़द में 380 रुपये की...
More »100 करोड़ खर्च कर लगेंगे 5000 नलकूप
भुवनेश्वर। राज्य में भूतल जल को सदुपयोग करने के लिए 10 हजार हेक्टर जमीन में जल सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु 5 हजार एलआई प्वाइंट लगाए जाने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के अध्यक्षता में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में आज संपृक्त निर्णय लिया गया है। इसके लिए राज्य सरकार 100 करोड़ रुपया खर्च करेगी। जल सिंचाई सुविधा न होने वाले क्षेत्रों में संपृक्त नलकूप खुदाई के लिए अग्राधिकार दिया जाएगा।...
More »25 साल बाद यह कैसा इंसाफ!
नई दिल्ली [विष्णु गुप्त]। महत्वपूर्ण यह नहीं है कि भोपाल गैस काड के आठ अभियुक्तों को न्यायालय ने दोषी ठहराया है, उन्हें दो-दो साल की सजा सुनाई है या अब भोपाल गैस काड के पीड़ितों को न्याय मिल ही गया। अहम यह है कि भोपाल गैस काड के अभियुक्तों को दंडित करने में 25 साल का समय क्यों और कैसे लगा? न्याय की इतनी बड़ी सुस्ती और कछुआ चाल। क्या गैस...
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