खास बात 2018 में देश में पांच साल से कम उम्र के 8.82 लाख बच्चों की मौत हुई. नाइजीरिया में यह आंकड़ा 8.66 लाख और पाकिस्तान में 4.09 लाख था। • 2018 में, देश के 28 दिनों से कम आयु के 5.49 लाख बच्चों की मृत्यु हुई। • कुपोषण का उपयोग अब बच्चों को स्टंटिंग (उम्र के हिसाब से छोटा कद) और वेस्टिंग (लंबाई के हिसाब से कम वजन), आवश्यक विटामिन और खनिजों की कमियों के...
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कर्ज का फंदा
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट [inside]Key Indicators of Situation Assessment Survey of Agricultural Households in India (January, 2013- December, 2013)[/inside] के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य़: http://www.im4change.org/siteadmin/tinymce//uploaded/Situation%20Assessment%20Survey%20of%20Agricultural%20Households%20in%20NSS%2070th%20Round.pdf --- तकरीबन साढ़े चार हजार गांवों के सर्वेक्षण पर आधारित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 70वें दौर की इस रिपोर्ट के अनुसार आंध्रप्रदेश में कर्ज में डूबे किसान-परिवारों की संख्या सबसे ज्यादा((92.9%) है। तेलंगाना के 89.1% किसान परिवार कर्ज में डूबे हैं जबकि तमिलनाडु में कर्ज के बोझ...
More »न्याय:कितना दूर-कितना पास
खास बात • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।* • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...
More »बेरोजगारी
एक नजर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर लगातार ऊंची बनी होने के बावजूद भारत अपनी ग्रामीण जनता की जरुरत के हिसाब से मुठ्ठी भर भी नये रोजगार का सृजन नहीं कर पाया है। नये रोजगारों का सृजन हो रहा है लेकिन यह अर्थव्यवस्था के ऊंचली पादान के सेवा-क्षेत्र मसलन वित्त-जगत, बीमा, सूचना-प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के दम पर चलने वाले हलकों में हो रहा है ना कि विनिर्माण और आधारभूत ढांचे के...
More »लघु ऋण
खास बात फिलहाल ३६ फीसदी ग्रामीण परिवार परिवार सांस्थानिक कर्जे के दायरे से बाहर हैं यानी सांस्थानिक कर्जे तक इनकी पहुंच नहीं है।* अगर प्रति परिवार दो हजार की सालाना रकम को आधार मानें तो ग्रामीण इलाके के गरीब परिवारों के लिए सालाना १५००० करोड़ रुपये के कर्जे की जरुरत होगी।* बड़े बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की ३३००० हजार शाखाएं गंवई इलाकों में और १४००० शाखाएं कस्बाई इलाकों में हैं। सहकारी बैंकों...
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