कामायनी और जनता एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने से हुई भीषण दुर्घटना ने एक बार फिर से रेल सुरक्षा की दयनीय दशा पर देश का ध्यान खींचा है। रेलवे इसका प्रथमदृष्टया कारण भारी बारिश से आई बाढ़ बता रहा है। राहत और बचाव का काम यहां और दुर्घटनाओं की तुलना में बेहतर रहा। स्थानीय ग्रामीणों और राज्य सरकार ने काफी चुस्ती दिखाई, अन्यथा मौतों का आंकड़ा अधिक होता। हादसा...
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खेती का खेल निराला मेरे भइया- राजेन्द्र तिवारी
देश के करीब 75 फीसदी परिवार कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं. देश की लगभग 70 प्रतिशत गरीब आबादी (विश्व बैंक के मुताबिक 77 करोड़ लोग) गांव में बसती है. लेकिन देश के जीडीपी में कृषि का हिस्सा लगातार गिरता जा रहा है. 50 के दशक में कृषि की हिस्सेदारी हमारी जीडीपी में 50 फीसदी से ज्यादा थी, 90 के दशक में यह 20 से 30 फीसदी रह गया और 2013-14...
More »प्रदेश में तीन लाख से ज्यादा बेटियां शौचालय बिना शर्मसार
संदीप तिवारी, रायपुर। शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के पांच साल बाद भी छत्तीसगढ़ के प्राइमरी, मिडिल, हाई एवं हायर सेकंडरी स्कूलों में विद्यार्थियों को बुनियादी सुविधाओं के अभाव में पढ़ाई करनी पड़ रही है। आलम ये है कि छत्तीसगढ़ की कुल 56 हजार 394 स्कूलों में से 1 हजार 673 स्कूलों के विद्यार्थियों को अभी भी पीने का पानी नसीब नहीं है। 1 लाख 10 हजार 713 छात्रों को...
More »भेदभाव का यंत्र नहीं मोबाइल- नीलांजन मुखोपाध्याय
करीब बीस वर्ष पहले की बात है। तब के केंद्रीय संचार मंत्री ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु को हाथ से पकड़ने वाले एक यंत्र से फोन किया। बसु ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में उसी तरह से हाथ में पकड़ने वाले यंत्र से संचार मंत्री की बातें सुनीं। आखिर इस बातचीत में खास क्या था? असल में, दोनों व्यक्ति जिस यंत्र से बात कर रहे थे, वह न...
More »छत्तीसगढ़--14 सालों में साढ़े 14 हजार से अधिक किसानों ने की आत्महत्या
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले 14 सालों में 14793 किसानों ने आत्महत्या की है। ये रोंगटे खड़े कर देने वाले आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के रिकॉर्ड में दर्ज हैं। किसानों की खुदकुशी का यह ग्राफ और भी भयानक हो सकता था, लेकिन एनसीआरबी ने 2011 से 2013 की अवधि में ऐसी मौतों की गणना नहीं की। खेती की बढ़ती लागत, खेती में हो रहे लगातार नुकसान के चलते किसान...
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