सूखे पर सख्त रुख अपनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि केंद्र सरकार जल्द मनरेगा का पैसा जारी करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है मनरेगा ठीक से लागू नहीं है। कोर्ट की ओर से कहा गया है कि गर्मी की छुट्टियों में भी सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को स्कूल की ओर से मिड डे मील योजना के अंतर्गत भोजन उपलब्ध कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा...
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आदिवासियत का लड़ाकू विचारक-- अनुज लुगुन
मराठी के वरिष्ठ आदिवासी कवि वाहरू सोनवाने ‘स्टेज' कविता में कहते हैं- ‘हम स्टेज पर गये ही नहीं/हमें बुलाया भी नहीं गया/उंगली के इशारे से हमारी जगह हमें दिखाई गयी/वे स्टेज पर खड़े होकर/हमारा दुख हमें ही बताते रहे.' यह कविता आदिवासी समाज को गैर-आदिवासियों द्वारा निर्देशित करने की यंत्रणादायी प्रक्रिया को बताती है. आदिवासियों को निर्देशित करने की औपनिवेशिक मंशा का प्रतिरोध करते हुए कई बार वाहरू जी कह...
More »बुंदेलखंड-- भूख से कराह रहे सहरिया परिवार
सूखा क्या पड़ा, जैसे सहरिया परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। खेतों में कटाई कर उसमें गिरे-पड़े दानों को बीनकर और मेहनत-मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करने वाला सहरिया समुदाय सूखे की जबरदस्त मार झेल रहा है। किसी ने खाने को दे दिया तो ठीक है, नहीं तो वह खाली पेट सोने को मजबूर हो जाते हैं। ग्राम पंचायत छपरट की सहरिया बस्ती के हालात यह हैं कि यहां के...
More »पिछड़ा कहलाने की होड़ क्यों?--- अनुपम त्रिवेदी
पिछले कुछ समय से देश के विभिन्न भागों में आरक्षण की मांग लगातार उठ रही है. परंपरागत रूप से समृद्ध समझे जानेवाले वर्ग भी आज पिछड़ा कहलाने की होड़ में हैं. हरियाणा के समृद्ध जाट, दुनिया के हर हिस्से में फैले गुजरात के मेहनतकश पटेल, कभी जमींदार रहे आंध्र प्रदेश के कप्पू , गौरवशाली अतीत वाले मराठा और कभी राजसी ठाठ-बाट के मालिक रहे उत्तर प्रदेश और राजस्थान के...
More »सपनों से परे-- मनोज कुमार
एक अबोध मन की कल्पना इस दुनिया की सबसे सुंदर रचना होती है। कभी किसी छोटे-से बच्चे को निहारिए। वह सबसे बेखबर अपनी ही दुनिया में खोया होता है। जाने वह क्या देखता है! अनायास कभी वह मुस्करा देता है तो कभी भयभीत हो जाता है। कभी खुद से बात करने की कोशिश करता है तो कभी वह सोच की मुद्रा में पड़ जाता है। तब उसे यह नहीं पता...
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