आर्थिक उदारीकरण में खेती-किसानी को कहीं भी महत्व नहीं दिया जाता। लेकिन भारत में कृषि नीति के प्रति सरकार की लगातार उदासीनता इसलिए घातक है कि सेवा क्षेत्र के विकास के बावजूद कृषि क्षेत्र आज भी अर्थव्यवस्था की धुरी है। यह हताशाजनक ही है कि सरकार बजट-दर-बजट खेती-किसानी को घाटे का सौदा साबित करने पर तुली है। बाहरी दबावों और कॉरपोरेट हितों के लिए कृषि क्षेत्र को तबाह करने का...
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विज्ञान का लोकतांत्रिक चेहरा- वंदना शिवा
हाल ही में साइंस पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बताया था कि देश में विज्ञान के विकास के लिए दो तकनीकों पर ध्यान देना जरूरी है- पहला कृषि में जीई (जेनेटिक इंजीनियरिंग) बीज और फसल का उपयोग तथा दूसरा परमाणु ऊर्जा। दुर्भाग्य से, हमारी अर्थव्यवस्था की उन्नति के लिए ये दोनों ही तकनीकें खतरनाक हैं। तब प्रधानमंत्री ने गैरसरकारी संगठनों पर भी उंगली उठाते हुए कहा...
More »राजस्थान में ऋण माफी की योजना नहीं
जयपुर। राजस्थान विधान सभा में सोमवार को सहकारिता मंत्री परसादी लाल मीणा ने बताया कि ऋण माफी केंद्र व राज्य सरकार तथा नाबार्ड द्वरा समय-समय पर जारी योजनाओं के अनुसार दी जाती है। मीणा ने प्रश्नकाल में विधायक हरिसिंह रावत के मूल प्रश्न के जवाब में बताया कि वर्तमान में ऋण माफी की कोई योजना नहीं है। ऋण माफी के संबंध में संशोधन भारत सरकार स्तर पर ही संभव...
More »'ईको टॉयलेट तकनीक डीआरडीओ से बेहतर
ट्रेनों में डीआरडीओ द्वारा तैयार बायो टॉयलेट्स लगाने की योजना के बीच पुणे के एक प्रोफेसर ने दावा किया है कि उनके द्वारा तैयार ग्रीन टॉयलेट्स का प्रोजेक्ट ज्यादा बेहतर और कारगर है और इससे पैसों की कमी से जूझ रहे रेलवे को काफी फायदा होगा। सिन्हागढ़ डेंटल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख राजीव सक्सेना के मुताबिक नई तकनीक के ये टॉयलेट्स उन्होंने और उनके छात्रों की टीम ने तैयार...
More »मारंगपुरी के हर घर में बायोगैस से बन रहा भोजन
जगदलपुर. ईधन की लगातार कमी से जूझने वाले लाक मुख्यालय बड़ेराजपुर से करीब 15 किमी दूर मारंगपुरी के ग्रामीणों ने बायोगैस को वैकल्पिक ऊर्जा के रूप में अपना लिया है। गांव के तकरीबन हर घर में बायोगैस के प्लांट बिना किसी रूकावट के पिछले एक दशक से लगातार चल रहे हैं। अब ग्रामीण इसकी तकनीक से भी वाकिफ हो चुके हैं। नहीं मिलती जलाऊ लकड़ी ओडिशा सीमा से लगे मारंगपुरी...
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