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बुलंद इरादों से भ्रष्ट व्यवस्था से दो-दो हाथ- डा.अशोक कुमार प्रियदर्शी

मनोरमा एक साधारण महिला जैसी ही हैं, लेकिन उनका हौसला जरूर बुलंद है. उन्हें देखकर यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन उनके पिछले सात सालों के संघर्ष गाथा को जानने के बाद यह संदेह भी दूर होता है. क्योंकि मनोरमा ने भ्रष्ट प्रशासनिक व्यवस्था के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़कर अपना हक हासिल किया. यही नहीं, उन्होंने तत्कालीन एसडीओ पर 25 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना, एसपी को जवाब...

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प्रतीकों की राजनीति- प्रमोद मीणा

जनसत्ता 4 अक्तूबर, 2014: गांधीजी के जन्मदिन दो अक्तूबर से देश भर में स्वच्छ भारत अभियान का आगाज करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रतीकों की राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। सरदार पटेल और कृष्ण का सफल प्रतीकात्मक चुनावी दोहन करने के बाद उनकी नजरें अब गांधी और झाड़ू को एक साथ साधने पर हैं। गांधी के नाम को हर चुनाव में भुनाती आई कांग्रेस दो अक्तूबर को एक रस्मी समारोह...

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जलवायु परिवर्तन मुद्दे पर गंभीर हैं भारत और चीन: संराष्ट्र

वाशिंगटन: न्यूयार्क में इस सप्ताह होने वाली जलवायु परिवर्तन की बैठक में भारत और चीन शामिल नहीं हो रहे हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने इसे गंभीर मुद्दा नहीं माना है और कहा है कि दोनों ही देश जलवायु परिवर्तन पर समझौते को लेकर काफी गंभीर हैं. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत मैरी राबिन्सन ने कहा कि चीन का मानना है कि एक बेहद वरिष्ठ प्रतिनिधि बैठक में...

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आरटीआइ के तहत सूचना मांगने की वजह बताएं: मद्रास हाई कोर्ट

नई दिल्ली। सूचना का अधिकार कानून (आरटीआइ) पर दूरगामी असर डालने वाले एक फैसले में मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि आरटीआइ आवेदकों को सूचना मांगने की वजह बतानी चाहिए। साथ ही उसने एक प्रमुख मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के खिलाफ शिकायत पर पंजीयन कार्यालय को फाइल नोटिंग उजागर करने से भी छूट दे दी है। जस्टिस एन पॉल वसंतकुमार और के रविचंद्रबाबू के खंडपीठ ने कहा कि किसी भी आवेदक को...

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क्या गरीबी कभी खत्म हो सकती है?- लार्ड मेघनाद देसाई

लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...

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