लखनऊ। उप्र में पुलिस हिरासत में बढ़ती मौतों से चिंतित मुख्यमंत्री मायावती ने दो टूक शब्दों घोषणा कर दी कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होने पर संबंधित अधिकारी को सीधे जेल भेज दिया जाए। मुख्यमंत्री राज्य की कानून व्यवस्था और पुलिसकर्मियों के व्यवहार से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने पुलिसकर्मियों को अपने व्यवहार में परिवर्तन लाकर जनता का भरोसा जीतने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने माफिया और पेशेवर अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने का भी आदेश...
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भुखमरी कैसे खत्म हो - सचिन कुमार जैन
भुखमरी आज के समाज की एक सच्चाई है परन्तु मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासियों के लिये यह सच्चाई एक मिथक से पैदा हुई, जिन्दगी का अंग बनी और आज भी उनके साथ-साथ चलती है भूख. अफसोस इस बात का है कि सरकार अब जी जान से कोशिश में लगी हुई है कि भूखों की संख्या कम हो. वास्तविकता में भले इसके लिये प्रयास न किये जायें लेकिन कागज में तो सरकार...
More »जंगल से कटकर सूख गये मालधारी- शिरीष खरे
एशियाई शेरों के सुरक्षित घर कहे जाने वाले गिर अभयारण्य में बरसों पहले मालधारियों का भी घर था. ‘माल’ यानी संपति यानी पशुधन और ‘धारी’ का मतलब ‘संभालने वाले’. इस तरह पशुओं को संभाल कर, पाल कर मालधारी अपनी आजीविका चलाते थे. एक दिन पता चला कि अब इस इलाके में केवल शेर रहेंगे. फिर धीरे-धीरे मालधारियों को उनकी जड़ों से उखाड़कर फेंकने का सिलसिला शुरु हुआ. जंगल में मालधारी आज की...
More »शिक्षकों के अधीन काम कर रहे प्राचार्य और एचएम
इंदौर. जनगणना में शिक्षा विभाग से लगी ड्यूटियों की लगातार शिकायत आ रही है। वास्तविक डाटा के अभाव और पुराने आंकड़ों के आधार पर लगाई गई ड्यूटी से कई विसंगतियां सामने आ रही हैं। नया मामला ऐसे प्राचार्य और हेडमास्टरों का है, जिन्हें सामान्य शिक्षक और संविदा शिक्षकों के अधीन काम करना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक सिरपुर के हाई स्कूल प्राचार्य राजेश सिंह की ड्यूटी छोटा बांगड़दा क्षेत्र में लगी है। उन्हें यहां हाई स्कूल...
More »हरी वादियों का चितेरा
अस्सी के दशक की शुरुआत से ही एक अकेले व्यक्ति के शांत प्रयासों ने ऐसे ग्रामीण आंदोलन की नींव रखी जिसने उत्तराखंड की बंजर पहाड़ियों को फिर से हराभरा कर दिया। सच्चिदानंद भारती की असाधारण उपलब्धियों को सामने लाने का प्रयास किया संजय दुबे ने। (तहलका-हिन्दी से साभार) शायद ही कुछ ऐसा हो जो संच्चिदानंद भारती को उफरें खाल के बाकी ग्रामीणों से अलग करता हो। ये तो जब वो...
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