SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2227

भारत के भविष्य निर्माता हैं खनिज व्यवसायी : नरेंद्रसिंह तोमर

रायपुर। खनिज क्षेत्र के समूचित विकास और खनन की सुदृढ़ नीति तय करने के मकसद से राजधानी रायपुर में सोमवार को नेशनल कॉन्क्लेव ऑफ माइंस एण्ड मिनरल्स की शुरूआत हुई। इस आयोजन में केंद्रीय खनिज एवं उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह सहित देशभर के खनिज व्यवसायी शामिल हुए। कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली भी शिरकत करने वाले थे, लेकिन खराब मौसम के चलते...

More »

सब्सिडी : कल्याण या राजनीति? मुफ्तखोरी के दुष्चक्र में फंसता देश

ज्यादातर देशों में एक ओर जहां राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए मुफ्तखोरी को हथियार बनाती हैं, वहीं इसी दुनिया में स्विटजरलैंड जैसा भी एक देश है, जहां की जनता ने सरकार की इस पेशकश को ठुकरा दिया. दूसरी तरफ भारत में देखें तो राजनीतिक पार्टियां और सरकारें मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्तखोरी को बढ़ावा देनेवाली नीतियों को प्रश्रय देती रहती हैं भारत जैसे कल्याणकारी राज्य में सब्सिडी एक जरूरी...

More »

देश को पहले NPA से निपटने की जरूरत : रघुराम राजन

मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने देश को ठोस घरेलू नीतियों तथा सुधारों की राह पर बनाए रखने की जरुरत पर बल देते हुए कहा है कि ऋण की वृद्धि की समीक्षा करने से पहले बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता (ऋण वसूली के संकट) से निपटने की जरुरत है. रिजर्व बैंक द्वारा आज जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) की प्रस्तावना में राजन ने कहा है, ‘‘बैंकिंग क्षेत्र का...

More »

सरकार और जनता के बीच दूरी-- पी चिदंबरम

ब्रिटेन की जनता ने यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला किया है। यह कहना ज्यादा सही है कि एक बंटे हुए देश के बंटे हुए मतदाताओं ने, चार फीसद से भी कम के बहुमत से, उस संघ से अलग होने के पक्ष में वोट दिया, जिसमें वे तैंतालीस साल पहले शामिल हुए थे। स्काटलैंड, उत्तरी आयरलैंड और लंदन विभाजन-रेखा के एक तरफ थे, जबकि इंग्लैंड तथा वेल्स दूसरी तरफ।...

More »

माल देशी, मालिकाना विदेशी --- अनिल रघुराज

इकलौते तथ्य से सत्य नहीं निकल सकता. लेकिन अनेक तथ्यों को साथ मिला कर सत्य की समग्र तसवीर बनायी जा सकती है. मसला है देश के व्यापक आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का. यह मसला केंद्र या राज्य सरकारों के लिए ही नहीं, देश के हर अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष या बच्चे, बूढ़े व नौजवान के लिए बेहद अहम है. आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के इस मसले को सुलझाने के चार...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close