महालेखाकार की जांच में हुआ है भारी गड़बड़ी का खुलासा, सीबीआइ ने एफसीआइ के गोदामों में की है छापामारी राज्य में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की योजना वित्तीय वर्ष 2011-12 में शुरू हुई थी, जो अब तक चल रही है. इस बीच वित्तीय वर्ष 2013-14 में सिर्फ दो जिले रामगढ़ व हजारीबाग तथा 2014-15 के सुखाड़ में भी हजारीबाग जिले में धान की खरीद...
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#RaghuramRajan: मिडल क्लास का 'गुड मैन' जो राजनीति से नहीं बच पाया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में बतौर गर्वनर तीन साल तक कार्यरत रहने के बाद आज रघुराम राजन विदा हो रहे हैं। आज आरबीआई में उनका आखिरी दिन है। तीन साल का उनका ये सफर बहुत ही विवादास्पद रहा। एक ओर जहां उन्हें राजनीति का शिकार होने पड़ा और आलोचनाएं झेलनी पड़ी। वहीं दूसरी ओर आर्थिक विशेषज्ञों ने उनकी जमकर तारीफ की। अगर भारत के जीडीपी ग्रोथ की बात करें तो...
More »ग्रामीण भारत की थाली से खाना गायब, 40 सालों की सबसे बड़ी गिरावट
बढ़ती महंगाई का असर जितना शहरों में देखने को मिल रहा है उससे भी ज्यादा इसका शिकार ग्रामीण भारत हो रहा है। ग्रामीण भारत की थाली की हालत इतनी चिंताजनक हो चली है कि उसकी थाली में पिछले 40 सालों की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। नेशनल न्यूट्रीशन मॉनीट्रिंग ब्यूरो के एक सर्वे के मुताबिक देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी यानी 84 करोड़ लोगों को ज़रुरत से...
More »1000 करोड़ की फसल बर्बादी से धीमी होगी विकास की चाल-- प्रकाशकांत
पूरे देश की ही तरह मध्य प्रदेश के अर्थतंत्र की रीढ़ भी खेती है। इसी खेती ने 2008 की विश्व मंदी में भी देश की अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाया था। हालांकि, यही खेती खुद भी कभी सूखे तो कभी अतिवृष्टि की शिकार होती रही है। नईम की इन पंक्तियों की तर्ज पर कि 'सूखे का हुआ कभी/कभी हुआ बाढ़ का/पहला दिन मेरे आषाढ़ का"। इस बार आषाढ़ तो नहीं मगर...
More »मिट्टी ही मिट गई तो कहां खड़े होंगे हम - अनिल प्रकाश जोशी
मिट्टी से जुड़ी बहुत ही कहावतें हैं। इनमें एक है मिट्टी के मोल बिक जाने का मुहावरा, जो अब गलत साबित हो रहा है। अब जब मिट्टी तेजी से गायब हो रही है, तो हमें इसकी कीमत भी समझ में आ रही है। मिट्टी के खोने का सबसे बड़ा प्रमाण मानसून में मिलता है। वर्षा जल के पड़ते ही नदी, नाले, गाढ़-गदेरे जो अपना रंग बदल देते हैं, और हम...
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