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अब हर नन्हा-मुन्ना थामेगा किताब

बच्चों का बचपन किसी भी कीमत पर न छिने इसके लिए सरकार अब नन्हे-मुन्ने हाथों में किताबें और कलम देखना चाहती है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर एक अभियान शुरू किया जा रहा है। प्रदेश स्तर पर चलने वाले इस अभियान के तहत 28 मई से 12 जून तक हर ढाबा, दुकान तथा उद्योगों की जांच की जाएगी। यदि किसी भी जगह बाल श्रमिक काम करते मिलते हैं तो उद्यमी दुकानदार के खिलाफ कड़ा...

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जेंडर बजट 2011 में बिहार की नयी ऊंचाई

पटना। अवधारणा के स्तर पर हुए परिवर्तन ने बिहार में जेंडर बजट को नयी ऊंचाई दी है। दो वर्ष पूर्व 2008 में पहली बार बजट में स्त्री पक्ष की हिस्सेदारी सुनिश्चित हुई। सरकार ने इस तथ्य को पहचाना कि लोक व्यय में जब तक आधी आबादी के सबलीकरण के लिए ठोस प्रबंध नहीं होगा, आधी जनसंख्या की विकास में भागीदारी नहीं हो सकेगी। इसी पैटर्न पर योजनाओं को दो श्रेणी में बांटा गया और फिर...

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था कैसे संभली रही?- पाणिनी आनंद

ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ने भी भारत को आर्थिक संकट के दौर में स्थिर रखने में मदद दी वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भारत के ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बारे में जानी मानी अर्थशास्त्री जयति घोष कहती हैं कि जहां संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन सरकार की पहली पारी गंभीर और सकारात्मक रही, वहीं दूसरी पारी में सरकार कम गंभीर नज़र आ रही है. उनका मानना है कि सरकार की कुछ तैयारियों और बदलावों के...

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एक पखवाड़े में पांच श्रमिकों की मौत, 15 घायल

राउरकेला। सुंदरगढ़ जिले में स्थित औद्योगिक इकाइयों में दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इस पखवाड़े काम के दौरान दुर्घटना में 5 श्रमिकों की मौत एवं 15 से अधिक घायल हुए हैं। श्रमिक नेता इसके लिए प्रबंधन व फैक्ट्री एंड ब्रायलर विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं प्रबंधन व सुरक्षा विभाग अधिकारी व्यक्तिगत भूल के कारण दुर्घटना होने की बात कह रहे हैं। सुरक्षा की अनदेखी करने वाले संयंत्रों के खिलाफ मुकदमा कर कार्रवाई भी की...

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नरेगा श्रमिकों को कार्यस्थल पर मिलेगा भुगतान

चित्तौडग़ढ़, २३ मई (प्रासं)। महानरेगा श्रमिकों को मेहनताने में देरी व अनियमितताओं की समस्या से जल्द राहत मिलेगी। श्रमिकों के पारिश्रमिक का भुगतान अब डाकघर से सीधा कार्यस्थल पर लाया जाकर मौके पर हाथों हाथ बांट दिया जाएगा। महानरेगा श्रमिकों को मेहनताने के लिए अब तक कई कई दिन इंतजार करना पड़ता था। सकरार की ओर से भुगतान की व्यवस्था डाकघर एवं बैंक के माध्यम से की हुई है। इसके लिए श्रमिकों के खाते भी बैंक एवं...

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