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खबरदार

  खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...

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जेंडर

खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

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विश्व जनसंख्या दिवसः भारत कब चीन को पीछे छोड़ देगा, कितनी है दुनिया की आबादी?

बीबीसी हिन्दी, 11 जुलाई साल 1989 में यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (1989) की गवर्निंग काउंसिल ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के तौर पर मनाने का फ़ैसला किया. इसके अगले साल यानी 1990 में पहली बार दुनिया के 90 देशों में 'विश्व जनसंख्या दिवस' मनाया गया. आबादी के ट्रेंड क्या कहते हैं? ये आंकड़े किस तेजी से बढ़ रहे हैं इस बात का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि दुनिया की...

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71 फीसदी भारतीय हेल्दी डाइट लेने में असमर्थ, भारत अन्य एशियाई देशों की तुलना में अफ्रीका के करीब – UN

दिप्रिंट, 8जुलाई संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन की तरफ से बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 307 करोड़ लोगों में से लगभग एक तिहाई लोग पौष्टिक आहार का खर्च उठा पाने में सक्षम नहीं हैं नई दिल्ली: हेल्दी डाइट को लेकर की गई एक क्रॉस-कंट्री तुलना से पता चलता है कि 97 करोड़ से ज्यादा भारतीय यानी देश की आबादी का लगभग 71 प्रतिशत हिस्सा पौष्टिक खाने का खर्च...

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सतत विकास लक्ष्य: साढ़े तीन दशक पीछे चल रहा है एशिया-प्रशांत, जलवायु परिवर्तन के मामले में 6 अंक पिछड़ा भारत

-डाउन टू अर्थ, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और कोविड-19 महामारी ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाला है, जिसका प्रभाव सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) पर भी साफ देखा जा सकता है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट “एशिया एंड द पैसिफिक एसडीजी प्रोग्रेस रिपोर्ट 2022” से पता चला है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र अपने एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए तय समय सीमा यानी...

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