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रबी सीजन 2024-25: गेहूं-दलहन का रकबा घटा, अति पछेती किस्में बोने की सलाह

डाउन टू अर्थ, 20 दिसम्बर रबी सीजन की बुवाई का समय लगभग बीतता जा रहा है, लेकिन अभी भी पिछले साल के मुकाबले लगभग 30 लाख हेक्टेयर में बुआई नहीं हो पाई है। खासकर गेहूं और दलहन की बुआई काफी पिछड़ी हुई है।  15 दिसंबर 2023 को समाप्त सप्ताह तक के आंकड़े बताते हैं कि देश में रबी सीजन की 557.26 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस...

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झारखंड में मिड डे मील में प्याज, लहसुन, अंडा बंद, केंद्रीकृत किचन व्यवस्था पर उठे सवाल

डाउन टू अर्थ, 20 दिसम्बर  झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चार प्रखंडों के सभी सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन (मिड डे मील) के लिए लागू केंद्रीकृत किचन व्यवस्था फेल रही है। स्कूली बच्चे इस व्यवस्था से त्रस्त हो गए हैं और पुरानी मध्याह्न भोजन व्यवस्था को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं। खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने...

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पर्यावरण मुआवजे को दूसरे उद्देश्यों के लिए क्यों किया गया खर्च, एनजीटी ने सीपीसीबी को लिया आड़े हाथों

डाउन टू अर्थ, 20 दिसम्बर  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निर्देश दिया है कि पर्यावरण मुआवजे के रूप में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास जमा की गई धनराशि को डायवर्ट नहीं किया जाना चाहिए। न ही उसमें किसी प्रकार की कोई वित्तीय अनियमितता होनी चाहिए। एनजीटी के अनुसार, इस तरह की कार्रवाइयों को सीपीसीबी द्वारा धन का दुरुपयोग माना जाएगा। साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यह भी कहा...

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2026 तक कोयले की मांग में होगी 2.3% की कमी: आईईए रिपोर्ट

कार्बनकॉपी, 20 दिसम्बर  दुनिया भर में कोयले की मांग इस साल अधिकतम सीमा पर पहुंच सकती है, और फिर 2026 तक इसमें 2.3% की गिरावट आने की उम्मीद है, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने अपनी ताज़ा वार्षिक कोयला बाज़ार रिपोर्ट में ऐसा कहा है। ऐसा पहली बार है कि रिपोर्ट ने पूर्वानुमान में ही कोयले की खपत में गिरावट की भविष्यवाणी की है। आईईए की रिपोर्ट ‘कोल 2023 एनालिसिस एंड फोरकास्ट टू...

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तम‍िलनाडु: बदलते मौसम का असर, पारंपर‍िक धान की खेती से दूर जा रहे क‍िसान

इण्डियास्पेंड, 20 दिसम्बर  तमिलनाडु के ज‍िला तंजावुर की पंचायत ओझुगासेरी में रहने वाले दिनेश पांडीदुरई और उनके जैसे कई अन्य किसानों ने गर्मी ने लगने वाली धान की क‍िस्‍म सांबा ना लगाने का फैसला किया है। लंबे समय तक ज्‍यादा गर्मी और उसके बाद मानसून सीजन में अच्‍छी बार‍िश ना होने की वजह से इस क्षेत्र का भूजल सूख गया है। पानी की द‍िक्‍कत उन खेतों में भी है जो कोल्लीडैम नदी...

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