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गन्ना फसल में पानी की खपत भारत के इथेनॉल लक्ष्य को प्राप्त करने में बड़ी चुनौती

29 मार्च, मोंगाबे हिंदी पिछले साल 2 नवंबर को, केंद्र ने अपने इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) के तहत 1 दिसंबर, 2022 से 31 अक्टूबर, 2023 तक विभिन्न गन्ना-आधारित कच्चे माल से प्राप्त इथेनॉल के लिए नई उच्च कीमतों को मंजूरी दी थी। यह इथेनॉल आपूर्ति वर्ष मौजूदा चीनी सीजन के साथ मेल खाता है। केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने इस उच्च कीमत को मंजूरी देते हुए अपनी...

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उत्तराखंड: किसानों पर आफत की बारिश, बिजली गिरने से 350 बकरियां मरीं

जनचौक, 27 मार्च जलवायु परिवर्तन के कारण मार्च के महीने में मौसम का बदलता मिजाज प्रदेश के किसानों के लिए किसी आफत से कम नहीं है। बे-मौसमी बरसात से राज्य में कृषि क्षेत्र को व्यापक नुकसान हुआ है। छोटे और मझोले किसानों के लिए यह किसी आपदा से कम नहीं है। अतिवृष्टि और बिजली गिरने के कारण उत्तरकाशी जिले में पशुपालकों की साढ़े तीन सौ बकरियां मर चुकी हैं। प्रदेश भर...

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“जब मैं कोई बीज संरक्षित करता हूं, तो यह एक मरती हुई संस्कृति को बचाता है”

 इंडियास्पेंड, 27 मार्च लगभग तीन दशकों से पारिस्थितिकीविद् और कृषि-संरक्षक देबल देब देशी चावल की किस्मों व बीजों का संरक्षण और उसे साझा कर रहे हैं। कई किस्में, जिन्हें उन्होंने वर्षों से बचाया है, वे गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं। वे केवल कुछ ही जगहों पर उगाई जाती हैं। देब ने बताया, "मैंने ओडिशा के कोरापुट जिले में ऐसे 35 और नागालैंड में लगभग 15 देशी और लुप्तप्राय किस्म के बीजों को...

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ग्राउंड रिपोर्ट: बेमौसम बारिश ने फसलों को किया बर्बाद, सरकारी राहत से भी किसानों को नाउम्मीदी

जनचौक, 23 मार्च बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से पूर्वांचल के किसानों को भी गेहूं समेत अन्य फसलों के नुकसान का सामना करना पड़ा है। पिछले एक सप्ताह में दो बार मौसम की मार झेल चुके किसानों के लिए अभी परेशानी कम नहीं हुई है। मौसम विज्ञानियों के पूर्वानुमान के अनुसार अभी भी आफत की बारिश का सामना करना पड़ सकता है। उधर यूपी सरकार ने पीड़ित किसानों को मुआवजे...

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कैसे उड़ीसा में बीज बैंक जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं

इंडियास्पेंड, 16 मार्च उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 150 किमी पश्चिम में रायसर नाम की एक छोटी सी बस्ती में रहने वाले 45 वर्षीय दुर्ज्यधन जानी के लिए पिछले तीन साल काफी रोमांचित करने वाले रहे हैं। उनके लिए यह एक ऐसा समय है, जैसे वह अपने बचपन में जी रहे हैं। एक बच्चे के रूप में उन्होंने अपने परिवार को जैविक खेती करते हुए देखा था, लेकिन दो दशक...

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