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'कुछ दिन और पानी में रहे तो हम भी गजेंद्र हो जाएंगे'

ओंकारेश्वर। हम हमारा अधिकार मांग रहे हैं... मेरी जमीन पर मूंग की फसल बोई थी, यहां पानी भर दिया है। अब मैं क्या करुं कुछ समझ में नहीं आ रहा। कुछ दिन और पानी में रहे तो हम भी गजेंद्र हो जाएंगे। यह दर्द भरी बात घोघलगांव जल सत्याग्रह के 16वें दिन आंदोलनकारी रमेश कड़वाजी ने कही। उन्होंने कहा कि मैं बाकी किसी की बात नहीं करता। मेरे खेत का मुझे...

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अदूरदर्शी नीतियों से बदहाल किसान - रमेश दुबे

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी की जंतर-मंतर पर आयोजित रैली के दौरान एक किसान की खुदकुशी दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे भी बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि खेती-किसानी की बदहाली पर संजीदा होने के बजाय सभी पार्टियां सियासी रोटी सेंकने में जुट गई हैं। जहां 'आप" दिल्ली पुलिस के बहाने केंद्र सरकार पर दोषारोपण कर रही है, वहीं कुछ भाजपा विरोधी कह रहे हैं कि यदि राजस्थान...

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जल सत्‍याग्रहियों से हम बातचीत के लिए तैयार : मुख्‍यमंत्री

मूंदी ,खंडवा। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि वे ओंकारेश्‍वर बांध परियोजना के संबंध में जल सत्‍याग्रह कर रहे लोगाें से बातचीत के लिए तैयार हैं। श्री चौहान शुक्रवार को पुनासा विकासखंड के ग्राम चांदेल में शुक्रवार को 418.50 करोड़ की लागत से निर्मित पुनासा उद्वहन सिंचाई परियोजना का शुभारंभ कर रहे थे। श्री चौहान ने लोकार्पण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद वृहद जल जनपंचायत को भी संबोधित किया। यह...

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राजस्थान के इन गांवों में भगवान को भी मिलेगा मुआवजा

जयपुर। राजस्थान में हाल में बारिश और ओलावृष्टि से खराब हुए फसल का मुआवजा इंसानों को ही नहीं बल्कि भगवान को भी मिलेगा। इसका कारण है कि उनकी फसल भी बारिश में तबाह हो गई है। दरअसल, राजस्थान में कई गांवों में कुछ जमीनें वहां के मंदिरों के नाम दर्ज है। यह मंदिर माफी की जमीनें कहलाती है। इन खेतों के मालिक उस मंदिर के देवी-देवता होते हैं। मंदिर की समिति...

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जंगल के दावेदारों पर मंडराता खतरा - के सी त्यागी

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के बाद अब आदिवासियों और जंगलों का मामला विवाद में है। ग्राम सभा की सहमति को, जो वन अधिकार कानून के अंतर्गत अनिवार्य है, समाप्त करने के संकेत मिल रहे हैं। संसद के इसी सत्र में यह प्रस्ताव लाया जा रहा है। जिन्हें हम आज अनुसूचित जातियों के अंतर्गत गिनते हैं, उन आदिवासियों की दशा अंग्रेजों के आगमन के समय से ही दयनीय हो चली थी। अंग्रेज...

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