पिछला एक वर्ष भारत के लिए उथल-पुथल भरा रहा है। अपनी संप्रभुता, सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ राष्ट्रवाद की आक्रामक अभिव्यक्तियों से उसे जूझना पड़ा है। वहीं, इस क्षेत्र की भू-राजनीति अब भी अनिश्चित और अस्थिर बनी हुई है। चीन की विकास दर घट रही है, लिहाजा अपने आर्थिक रसूख को कायम रखने के लिए वह नए-नए तरीके अपना रहा है। दक्षिण चीन सागर विवाद पर ट्रिब्यूनल के फैसले को...
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सरकार द्वारा कम खर्च के चलते बढ़ रहा है जोखिम, एक साल में डेढ़ गुना हुए टीबी मरीज
टीबी से मरते लोग भारत समेत दुनिया में तपेदिक (टीबी) से होनेवाली मौतों में लगातार कमी आ रही है, लेकिन हमारे देश में इस बीमारी के शिकार लोगों की संख्या बढ़ रही है. वर्ष 2015 में एक साल पहले की तुलना में टीबी के 50 फीसदी अधिक मामले सामने आये थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसी हफ्ते जारी ‘ग्लोबल टीबी रिपोर्ट' से संकेत मिलता है कि टीबी...
More »वित्तीय सेवाओं का उपयोग-- बिभाष
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने गत तीन अक्तूबर को सातवां वार्षिक फाइनेंशियल एक्सेस सर्वे-2016 (एफएएस-2016) जारी किया. यह सर्वे विभिन्न देशों में वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता तथा उनके उपयोग संबंधी आंकड़े जारी करता है. यह सर्वेक्षण समय-समय पर जी-20 देशों द्वारा तय किये गये वित्तीय समावेशन सूचकों (फाइनेंशियल इन्क्लूजन इंडिकेटर्स) के आधार पर किया जाता है. पिछली बार लॉस काबोस में 2012 के शिखर सम्मेलन में इन सूचकों को तय किया...
More »भूजल की फिक्र किसे है-- दीपक रस्तोगी
विज्ञान पत्रिका ‘नेचर जियोसाइंस' का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि सिंधु और गंगा नदी के मैदानी क्षेत्र का तकरीबन साठ फीसद भूजल प्रदूषित हो चुका है। उसका दावा है कि चार दक्षिण एशियाई देशों में फैले इस विशाल क्षेत्र का पानी न तो पीने योग्य बचा है और न ही सिंचाई योग्य। हालत यह है कि कहीं भूजल सीमा से अधिक खारा हो चुका है तो कहीं उसमें...
More »कफन, चिता और सत्याग्रह!-- नासीरुद्दीन
रिचर्ड एटनबरॉ की फिल्म ‘गांधी' में रोंगटे खड़े कर देनेवाले दो-तीन सीन हैं. पहला, दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी की अपील पर सत्याग्रह का पहला प्रयोग हो रहा है. अंगरेज फौजी उन्हें बेदर्दी से मारते हैं. घोड़े दौड़ाते हैं. फिर भी वे सत्याग्रह से डिगते नहीं हैं. दूसरा, जालियांवाला बाग में सभा हो रही है. हजारों लोग जमा हैं. अंगरेज फौज आती है. गोलियां चलायी जाती हैं. लोग बचने...
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