रायपुर, ब्यूरो। बच्चों को सही पोषण देने के लिए स्कूलों के मिड-डे मील के मेनू में राज्य सरकार ने जो प्रावधान किया, उसका पालन नहीं हो पा रहा है। मेनू के हिसाब से न ही बच्चों को मौसमी फल दिया जा रहा है और न ही गुड़चना। दूध और अंडे के लिए तो कोई प्रावधान ही नहीं है। इससे बच्चों की कैलोरी तो पूरी हो रही है, लेकिन प्रोटीन आधा...
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'प्रभु' से सवाल - 'जननी' की सेवा में 'जनक' को क्यों भूल गए...?
रेलवे से एक ख़बर आई है - अब 'जननी सेवा' के तहत चुनिंदा ट्रेनों और स्टेशनों पर बच्चों के लिए दूध, गर्म पानी, बेबी फूड वगैरह उपलब्ध कराया जाएगा... इस ख़बर को इस संदर्भ में देखा जा रहा है कि इससे छोटे बच्चों को साथ लेकर चलने वालों के लिए ट्रेन का सफर आसान हो जाएगा... ख़बर अच्छी है भी, लेकिन मेरे नज़रिये से 'प्रभु' के इस तोहफे में थोड़े-से...
More »झारखंड-- सभी का दो लाख तक का हेल्थ बीमा
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने घोषणा की है कि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सरकार राज्य के लोगों का दो लाख रुपये का बीमा करायेगी. सामान्य बीमारियों के लिए 50 हजार रुपये का बीमा होगा. राज्य की 80 प्रतिशत अाबादी को मुफ्त में इस बीमा योजना में शामिल किया जायेगा. शेष 20 प्रतिशत सक्षम लोगों को कम प्रीमियम पर यह सुविधा मिलेगी. मुख्यमंत्री सोमवार को नामकुम स्थित आरसीएच...
More »भारत के 50 फीसदी बच्चे स्टंटिंग अर्थात बौनेपन के शिकार: यूनिसेफ
क्या आप इस तथ्य से अवगत है कि भारत में 5 वर्ष की आयु सीमा के लगभग 50 फीसदी बच्चे बौनेपन अर्थात स्ट्नटिंग के शिकार है?यानी स्टंटिंग की समस्या के कारण उनका विकास अवरू़द्ध हो रहा है। अगर आंकड़ो की भाषा में कहा जाये तो लगभग 54 मिलियन बच्चे जो कि कनाडा और नीदरलैंड की सयुक्त जनसंख्या के बराबर है। निश्चित रूप से खतरे की घंटी है। लेकिन इन आंकड़ो के...
More »मिलावटी दूध की बहती गंगा - भवदीप कांग
शुरुआत इसी विरोधाभासी तथ्य से करें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है! पिछले पंद्रह वर्षों में भारत में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई है। अब यह 322 ग्राम प्रतिदिन है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब भारत में दूध की मांग व आपूर्ति का तंत्र अच्छी तरह विकसित हो चुका है तो हम मिलावटी दूध पीने को मजबूर क्यों हैं?...
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