नयी दिल्ली : दिसंबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घटकर पांच महीने के निचले स्तर 6.16 प्रतिशत पर आ गई. इससे रिजर्व बैंक के लिए वृद्धि दर प्रोत्साहन के लिए नीतिगत ब्याज दरें घटाने की गुंजाइश बढ़ेगी. आज जारी थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्पीति कके आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर,13 में खाद्य वस्तुओं के वर्ग की मुद्रास्फीति 13.68 प्रतिशत रही जो नवंबर में 19.93 प्रतिशत थी. दिसंबर में सब्जियों के दाम सालाना स्तर पर...
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घरेलू महिला हिंसा पर चुप्पी अब और नहीं
मित्रो, महिलाओं के प्रति हिंसा की घटनाओं पर देश-दुनिया में जितनी चिंता की जा रही है, घटनाओं की संख्या उतनी ही बढ़ रही है. इसकी बड़ी वजह है सामाजिक हस्तक्षेप की कमी. दिल्ली गैंग रेप जैसी बड़ी घटना जब होती है, तब देश भर में लोग सड़कों पर उतर आते हैं. मीडिया से न्यायपालिका तक की सक्रियता बढ़ जाती है. जनसंगठन और राजनीतिक दल भी जनाक्रोश के साथ होते हैं. यह उचित...
More »रिजर्वबैंक ने ऊंची ब्याज दरों को लिए महंगाई को जिम्मेदार ठहराया
कोलकाता। भारतीय रिजर्व बैंक ने आज ऊंची ब्याज दरों के दौर के लिए मुद्रास्फीति को जिम्मेदार ठहराया। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस तरह के परिदृश्य में नीतिगत दरों में कमी करने के बाद भी बैंक घटी दरों का लाभ उपभोक्ता तक नहीं पहुंचा पाएंगे। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के.सी. चक्रवर्ती ने एमसीसी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यदि हम नीतिगत दरों में...
More »सात माह में सर्वाधिक महंगाई, लोग बेहाल
रेपो रेट घटना मुश्किल महंगाई दर लगातार बढऩे के चलते रेपो रेट घटाना होगा मुश्किल, आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा 29 अक्टूबर को लगातार चौथे माह बढ़ी महंगाई, सितंबर में मुद्रास्फीति दर रही 6.46 फीसदी देश में महंगाई का कहर जारी है। सितंबर, 2013 में महंगाई दर और भी बढ़कर पिछले सात महीनों के उच्चतम स्तर 6.46 फीसदी पर पहुंच गई। सितंबर महीने में खुदरा महंगाई दर भी बढ़कर 9.84 फीसदी हो...
More »कुप्रबंध की संस्कृति- हरिवंश
देश, वाचाल वृत्ति, बौद्धिक विलासिता, पर-उपदेश वगैरह की ‘लचर जीवन संस्कृति’ से नहीं चलता. आज के भारत में सरकार, राजनीति से लेकर समाज स्तर पर यही जीवन संस्कृति है. अमर्त्य सेन जिस ‘आर्ग्यूमेंटेटिव इंडिया’ (बहस में डूबे भारत) की बात करते हैं, उसे जमीन पर देखें-समझें तो बात ज्यादा स्पष्ट और साफ होती है. मूलत: हम बातूनी लोग हैं, बिना कर्म बात-बहस करनेवाले. किसी के बारे में कुछ भी टिप्पणी....
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