मदरसों का नाम लेते ही आंखों के सामने आमतौर पर एक ऐसे स्कूल की तस्वीर उभरती है जहां अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र पारंपरिक तरीके से तालीम हासिल करते हैं. लेकिन पश्चिम बंगाल के मदरसों में यह तस्वीर बदल रही है. राज्य के मदरसों में न सिर्फ ग़ैर-मुसलमान छात्र पढ़ते हैं, बल्कि उनकी तादाद भी लगातार बढ़ रही है. राज्य में सोमवार से शुरू मदरसा बोर्ड की परीक्षा ने इस बार एक...
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कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ जंग लड़ रहा है बिहार का यह सरकारी स्कूल
बिहार के पूर्णिया जिले के कसबा प्रखंड मुख्यालय में स्थित यह स्कूल पहली ही नजर में किसी आम सरकारी स्कूल जैसा नहीं दिखता। परिसर की साफ सफाई, स्कूल भवन के रंग रोगन, दीवारों पर बने प्रेरणा दायक चित्र, करीने से बने शौचालय और मूत्रालय, परिसर में लगे पेड़ पौधे, यह सब बरबस आपका ध्यान खींचते हैं। मगर इस विद्यालय की सबसे बड़ी खासियत इसकी वह कोशिश है जो इसने अपने...
More »बजट 2020: बजट से क्या चाहती हैं ग्रामीण महिलाएं ?
- गांव कनेक्शन लखनऊ। "हमें न तो आवास मिला न विधवा पेंशन। महंगाई भी छप्पर फाड़कर बढ़ गयी। अब तो आलू-प्याज खाना भी मुश्किल है। बजट से गरीबों को क्या लेना-देना?" यह बात जंगल से लकड़ी लेने गयी फूलमती रावत (55 वर्ष) ने नाउम्मीदी से कही। "बजट निकलने से पहले हमारी भी समस्या पूछी जाएगी, ये आज पहली बार आपसे पता चला। हमने तो नाम भी इसका पहली बार सुना है।...
More »भाषा, विरासत और जीवन बचाने की जद्दोजहद में दिल्ली के गड़िया लोहार
-कारवां 2012 में किरण सिंह सांखला छोटी थीं और सरकारी अधिकारियों ने उनके परिवार को पश्चिमी दिल्ली के अस्थाई घर से बेदखल कर दिया. उनके परिवार को पहले भी कई दफा अस्थाई आवास से बेदखल किया जा चुका था लेकिन यह बेदखली खास तौर पर सांखला के लिए बहुत दुश्कर थी. वह उस वक्त दसवीं कक्षा की परीक्षा दे रही थीं. इस बेदखली में उनकी कुछ किताबें गुम हो गईं और कुछ...
More »संविधान की अंतरात्मा और शिक्षा
“अगर संविधान पर ढंग से अमल होता तो सबको समान शिक्षा मिलती और गैर-बराबरी नहीं रहती, लेकिन सरकारों ने इसकी अवहेलना की, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ न केवल भटकाव बल्कि छलावा भी” घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए, जवाब-दर-सवाल है के इंकलाब चाहिए! -शलभ श्री राम सिंह हम भारत के लोग ने संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था। आज लगभग 70 साल के बाद देश का शासक...
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