नई दिल्ली। अपने देश के जिस मध्यवर्ग को केंद्र में रखकर देसी-विदेशी कंपनियां अपने माल की बिक्री की रणनीति बनाती आई हैं, उसका अस्तित्व ही नहीं है। जिस मध्यवर्ग को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है और जो बड़े-बड़े बदलावों का माध्यम बनता रहा है, उसे अपने देश में ढूंढ़ना बेकार है। भारत जैसे विकासशील देशों में मध्यवर्ग के लिए गढ़ी गई नई अंतरराष्ट्रीय परिभाषा के आधार पर यह...
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बीपीएल को 35 किलो की दर से खाद्यान्न आवंटन
नई दिल्ली। देश में 2.43 करोड़ अंत्योदय अन्न योजना परिवारों सहित 6.52 करोड़ गरीबी रेखा के नीचे [बीपीएल] के परिवारों की स्वीकृत संख्या के लिए खाद्यान्नों का आवंटन 35 किलो प्रति परिवार प्रति माह की दर पर किया जा रहा है। कृषि राज्य मंत्री के वी थामस ने मंगलवार को लोकसभा को बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राज्यों और संघशासित क्षेत्रों को खाद्यान्नों का आवंटन करने के लिए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग...
More »बीपीएल कार्ड को तरसते गरीब- ललित शर्मा
दो रुपए किलो गेहूं की योजना से वंचित रह जाएंगे लाखों परिवार केस 1 जगतपुरा के कठपुतली नगर में रहने वाली मंजू भाट के पति की दुर्घटना के बाद मृत्यु हो गई थी। उसके 4 लड़कियां और एक लड़का है। कटपुतली बनाकर बेचने से मात्र 1200-1300 रुपए की आय होती है। कई बार एक वक्त की रोटी का इंतजाम भी नहीं हो पाता। सर्दियों में भी बच्चों के लिए कपड़े नहीं...
More »कहीं विलुप्त ना हो जाए आदिवासी संस्कृति
नई दिल्ली। अरविंद जयतिलक संयुक्त राष्ट्र संघ की द स्टेट आफ द वर्ल्ड्स इंडीजीनस पीपुल्स नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि मूलवंशी और आदिम जनजातिया पूरे विश्व में अपनी संपदा, संसाधन और जमीन से वंचित व विस्थापित होकर विलुप्त होने के कगार पर हैं। रिपोर्ट में भारत के झारखंड राज्य की चर्चा करते हुए कहा गया है कि यहा चल रहे खनन कार्य के कारण विस्थापित हुए संथाल जनजाति के हजारों परिवारों को आज...
More »भूखे बुंदेलों के हक पर अमीरों का डाका
उरई। बुंदेलखंड के बीहड़ में बसे गांवों के लोग भुखमरी के मुहाने पर खडे़ हैं। उरई जिले के नंदीगांव व रामपुरा ब्लाकों के दर्जनों गांवों के बाशिंदों के घरों में महीने में बमुश्किल 15 दिन ही चूल्हा जलता है और वह भी एक समय। ज्यादातर भूमिहीन और गरीबों के पास बीपीएल और अंत्योदय कार्ड तक नहीं हैं। पूरा भोजन ना मिलने से महिलाएं, पुरुष और बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। दलित बाहुल्य गांवों की हालत...
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