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कैसे भूल सकते हैं चंपारण सत्याग्रह- के सी त्यागी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अतुल्य विरासत को अजर-अमर बनाने की दिशा में जो प्रयास हो रहे हैं, वे न सिर्फ सराहनीय हैं, बल्कि प्रेरणादायक भी हैं। पिछले दिनों बिहार सरकार ने गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सौवीं वर्षगांठ मनाने का फैसला एक सर्वदलीय बैठक में किया। महात्मा के नाम पर राजनीतिक मतभेद न होना, इस बड़े फैसले का सुखद पहलू रहा। 10 अप्रैल, 1917 को पहली बार महात्मा गांधी बिहार...

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बायो तकनीकी खेती : स्वास्थ्य चिंताओं के बीच फील्ड ट्रायल की मंजूरी

स्वास्थ्य और पर्यावरण पर संभावित असर को लेकर जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) खेती के समर्थन और विरोध में जारी बहस के बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने फील्ड ट्रायल के लिए आये प्रस्तावों में से करीब 80 फीसदी को हाल में हरी झंडी दे दी है. मई, 2014 में केंद्र में एनडीए सरकार के गठन के बाद से इस संदर्भ में हुई आठ बैठकों के बाद पिछले दिनों यह मंजूरी दी गयी.  ...

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संघर्ष एवं अस्थिरता से बढ़ सकती है गरीबी: जेटली

केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पश्चिम एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र तथा उप-सहारा क्षेत्र में जारी संघर्ष और कई अन्य देशों में कायम अस्थिरता की स्थिति इन क्षेत्रों में गरीबी बढ़ा सकती है। विश्व बैंक एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए यहां आये जेटली ने विश्व में‘बलात विस्थापन एवं इसकी चुनौतियां'मुद्दे पर विश्व बैंक द्वारा तैयार...

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छत्तीसगढ़- भूमि सुधार का काम जीपीएस से, 66 साल बाद कोंडागांव जिले का सर्वे

रायपुर। छत्तीसगढ़ में भूमि सुधार (बंदोबस्त) का काम अब ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस के माध्यम से शुरू कर दिया गया है। राज्य के बस्तर सहित कई अन्य जिलों में भूमि सुधार के काम सही तरीके से न होने के कारण जमीन संबंधी विवाद बड़े पैमाने पर सामने आए हैं। बस्तर के ही कोंड़ागांव जिले में आजादी के बाद से 66 साल तक बंदोबस्त का काम नहीं हुआ था, अब...

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‘गाइड’ के दृश्य का दोहराव क्यों?- शेखर गुप्ता

यदि आपने देव आनंद की 1965 की क्लासिक फिल्म ‘गाइड' देखी हो तो टीवी स्क्रीन पर सूखे से प्रभावित क्षेत्रों खासतौर पर महाराष्ट्र के दृश्य अापको पहले देखे हुए से लगेंगे। फिल्म के अंतिम हिस्से में राजू गाइड सूखे से प्रभावित क्षेत्र के एक मंदिर में शरण लेता है। गांव वालों को लगता है कि वे कोई पहुंचे हुए स्वामीजी हैं और ग्रामीण उसे तब तक उपवास करने पर मजबूर...

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