बांदा। महुआ के फूल से बनी 'डोभरी' जंगल में बसे जनजातियों के लिए अब सपना हो जाएगी। 'डोभरी' जनजातियों के जीवन का एक प्रमुख सहारा रहा है। कोलुहा जंगल में पीढि़यों से बसे जनजातियों को अब भूखे पेट रात बितानी होगी। वन संपदा पर दबंगों की हुकूमत व सूखे की मार से मुंह का निवाला छिन गया है। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के फतेहगंज क्षेत्र के कोलुहा जंगल में पीढि़यों से बसे जनजातीय...
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क्या हम नाजी जर्मनी में रह रहे हैं: कोर्ट
मुंबई। महिलाओं के बारों में रात 9:30 बजे के बाद काम करने पर पाबंदी संबंधी एक कानून के औचित्य पर सवाल उठाते हुए बंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यह कैसा कानून है? क्या हम नाजी जर्मनी में रह रहे हैं? बंबई दुकान एवं प्रतिष्ठान कानून 1948 को महिला संगठनों और होटल एवं रेस्तरां ऐसोसिएशन [आईएचएआर] ने चुनौती देते हुए इसे भेदभावपूर्ण बताया था। याचिका में कहा गया था कि पांच तारा होटलों...
More »किसानों को उन्नत खेती के गुर सिखाये
लखनऊ, 18 मार्च: इफको द्वारा मोहनलालगंज के तमोरिया गांव में फसल विचार एवं ग्राम उत्थान विषयक संगोष्ठी आयोजित हुई। इसमें गांव वालों को उन्नत खेती के बारे में बताया गया और खेतों में प्रदर्शन कर दिखाया गया। किसानों को संतुलित उर्वरक प्रयोग के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान किसानों को उन्नत कृषि यंत्र, महिलाओं को सिलाई मशीन व टार्च आदि वितरित किया गया। संगोष्ठी में मृदा वैज्ञानिक डा. केएन तिवारी ने भूमि की कम...
More »अब बलात्कार नहीं होगा
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश में अब 'बलात्कार' नहीं होगा। आपका चौंकना लाजमी है। लिहाजा, यह बता दें कि भारत सरकार ने 150 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता [आईपीसी] में संशोधन का फैसला किया। इसके मुताबिक आईपीसी से 'बलात्कार' शब्द को हटा दिया जाएगा। इसकी जगह 'यौन उत्पीड़न' शब्द का इस्तेमाल होगा ताकि यौन अपराधों से पीड़ित महिलाओं और पुरुषों को समान रूप से कानून का लाभ मिल सके। उधर, सोमवार को लोक सभा में अपराध...
More »पुरखों की जमीन दी, बदले में क्या मिला.. !!
राउरकेला स्टील प्लांट की स्थापना के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू और जयपाल सिंह मुण्डा आए थे और गांव वालों को समझा बुझा कर विकास के नाम पर जमीन ले लिया था. आज पचास सालों के बाद विस्थापितों के हालात भिखमंगों की तरह हो गई है. उन्ही विस्थापितों में से एक हैं लुसिया तिर्की जो मंदिरा डैम से उजाड़ दी गई. उनका कहना है कि जमीन का कागज अभी तक...
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