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अनशन के बाद: रामदेव के समर्थकों में गुस्‍सा और निराशा

हरिद्वार/सैय्यद अलीपुर (नारनौल). बाबा रामदेव ने रविवार को नौ दिनों से चला आ रहा अनशन  तोड़ दिया, लेकिन उनके समर्थकों में उत्साह नहीं है। पतंजलि योगपीठ मुख्यालय और हरिद्वार में भी कोई जश्न नहीं है, लेकिन उनके समर्थकों के लिए राहत की बात है कि उन्होंने अनशन खत्म कर दिया है। बाबा के अनशन खत्म करने के बाद उनके भाई देवदत्त सहित कई समर्थकों ने अनशन खत्म किया लेकिन उनमें उत्साह नहीं है।...

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बदल रहे हैं, गांव, देहात और जंगल- हरिवंश

फ़रवरी 2008 में चतरा के नक्सल दृष्टि से सुपर सेंसिटिव गांवों में जाना हुआ. साथ के मित्रों के भय और आशंका के बीच, देर शाम तक घूमना हुआ. सूनी सड़कों पर मरघट की खामोशी के बीच. तब तक लिखा यह अनुभव भी छपा नहीं. पाठक पढ़ते समय ध्यान रखें यह फ़रवरी 2008 में लिखी गयी रपट है. कभी डालटनगंज-चतरा के इन इलाकों में खूब घूमना हुआ. समाजवादी चिंतक, अब बौद्ध अध्येता व...

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ग्रेनो: हाईकोर्ट ने किया जमीन अधिग्रहण रद्द, चंदौली में किसानों ने सजाईं चिताएं- विजय उपाध्याय

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महीने में लगातार अपने तीसरे आदेश में ग्रेटर नोएडा में तत्काल महत्व की औद्योगिक जरूरतों के नाम पर 170 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण रद्द कर दिया है। इस बार दादरी तहसील के गुलिस्तापुर के 550 किसानों को राहत मिली है। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुनील अंबवानी व न्यायमूर्ति केएन पांडेय की खंडपीठ ने 58 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 2007-08 में ग्रेटर नोएडा के...

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मानवाधिकार संगठन की नई रिपोर्ट - किसान-आत्महत्या के कुछ अनदेखे पहलू

क्या सरकारी प्रयासों के बावजूद किसानों की आत्महत्या के ना थमने वाले सिलसिले का एक पहलू दलित और महिला अधिकारों की अनदेखी से भी जुड़ता है। सेंटर फॉर ह्यूमन राइटस् एंड ग्लोबल जस्टिस(सीएचआरजीजे) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट की मानें तो- हां। सीएचआरजीजे और द इंटरनेशनल ह्यूमन राइटस् क्लीनिक की तरफ से जारी इस रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की गई है कि खेतिहर संकट से जूझ रहे भारत में किसानों की आत्महत्या की...

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मेहनतकश की मजदूरी का सवाल : हर्ष मंदर

‘खेतों और फैक्टरियों में काम करने वाले हर मजदूर और कामगार को कम से कम इतना अधिकार तो है ही कि वह इतनी मजदूरी पाए कि अपना जीवन सुख-सुविधा से बिता सके..।’ वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण दे रहे जवाहरलाल नेहरू ने यह बात कही थी। इसके नौ दशक बाद स्वतंत्र भारत की केंद्र सरकार ने कहा कि लोककार्य के लिए कानून द्वारा स्थापित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान...

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