पटना बिहार के गांव-गिरांव में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान के ही भरोसे हैं। गांवों को एक समान स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। गौर करें तो 15.74 प्रतिशत गांवों में ही चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध है। गया, जमुई और बांका जैसे जिलों की स्थिति ज्यादा खराब है, यहां 7 से 10 प्रतिशत गांवों में ही इलाज की व्यवस्था है। योजना विभाग द्वारा जारी 'योजना एटलस' में यह तथ्य उजागर हुए हैं। सुपौल,...
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मातृत्व सुख में आड़े नहीं आएगी गरीबी
शिमला। मां बनने के सुख के रास्ते में गरीबी कोई रोड़ा नहीं रहेगी। हिमाचल में गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संस्थानों में निशुल्क प्रसव की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। यदि किसी महिला को बड़े अस्पताल में रेफर करने की जरूरत पड़ती है तो उसका खर्च भी सरकार ही उठाएगी। इसके लिए विशेष तौर पर एंबुलेंस मुहैया करवाई जाएगी। यही नहीं, अस्पताल से डिस्चार्ज के दौरान भी उनसे कोई शुल्क नहीं लिया...
More »पानी की मांग 2050 तक 1447 अरब घन मीटर
नई दिल्ली। देश में सिंचाई और पेयजल के लिए पानी की मांग वर्ष 2050 तक बढ़कर 1,447 अरब घन मीटर हो जाएगी और इसे पूरा करने के लिए हमें भूमिगत जल और सतही जल संसाधनों का बेहतर तरीके से प्रबंधन करना होगा। जल संसाधन राज्य मंत्री विसेंट एच पाला ने यहां राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के जल संसाधन सचिवों-मुख्य सचिवों की एक दिवसीय बैठक में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि...
More »राशन स्मार्ट कार्ड परियोजना पूरे देश में लागू होगी
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अंगुली के निशान व स्मार्ट कार्ड के जरिए राशन दुकानों से अनाज देने की नायाब योजना हरियाणा और चंडीगढ़ में मंगलवार से शुरू हो गई। पायलट परियोजना के सफल होने पर इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। मंगलवार को इसे चार जिलों में लांच किया गया। अगले डेढ़ सालों में यह पूरे राज्य में लागू हो जाएगी। देश के चार राज्यों में राशन प्रणाली...
More »छह फीसदी बच्चे ही पहचानते हैं‘ए बी सी’
नई दिल्ली . सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) की सच्चई एक अध्ययन में सामने आ गई है। इससे पता चला है कि प्रायमरी में पढ़ने वाले देश के 94 फीसदी बच्चे अंग्रेजी को विदेशी भाषा मानते हैं। 11 राज्यों में हुए अध्ययन में पाया गया कि छह प्रतिशत बच्चे ही अंग्रेजी के अक्षरों को पहचान पाते हैं। चंडीगढ़, मध्यप्रदेश और असम के बच्चे तो इसमें भी फेल रहे। प्रायमरी शिक्षा को देशभर...
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