जनसत्ता 23 जून, 2012: अगर हमारे देश में ग्रामीण निर्धन वर्ग और विशेषकर भूमिहीन वर्ग को टिकाऊ तौर पर संतोषजनक आजीविका मिले इसके लिए भूमि-सुधार बहुत जरूरी है। इसके अलावा, अन्यायपूर्ण भूमि अधिग्रहण द्वारा जिस तरह तेजी से बहुत-से किसानों खासकर आदिवासियों की जमीन लेकर उन्हें भूमिहीन बनाया जा रहा है, उस पर रोक भी लगानी होगी। ऐसे महत्त्वपूर्ण सवालों के न्यायसंगत समाधान के लिए इस वर्ष के आरंभ से एक प्रयास...
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सिंगरौली में संघर्ष जारी है- पुण्य प्रसून वाजपेयी
जनसत्ता 25 मई, 2012: यह रास्ता जंगल की तरफ जाता जरूर है, लेकिन जंगल का मतलब वहां सिर्फ जानवरों का निवास नहीं होता। जानवर तो आपके आधुनिक शहर में हैं, जहां ताकत का अहसास होता है। जो ताकतवर है उसके सामने समूची व्यवस्था नतमस्तक है। लेकिन जंगल में तो ऐसा नहीं है। यहां जीने का अहसास है। सामूहिक संघर्ष है। एक दूसरे के मुश्किल हालात को समझने का संयम है। फिर न्याय से लेकर...
More »देवास : रेवासागरों को यूएनए अवार्ड
देवास [मनीष वैद्य] देवास में जलसंरक्षण और भूजल स्तर बढ़ाने के लिए शुरू किए गए नवाचारी रेवासागर तालाबों को देश और प्रदेश में पहले ही रोल मॉडल माना जा चुका है. लेकिन अब इससे भी आगे बढक़र खबर यह है कि अब रेवा सागर को नवाचारी जल संरचनाओं के लिए यूएनए अवार्ड मिला है. देवास जिले में वर्ष 2006 में तत्कालीन जिला कलेक्टर उमाकांत उमराव ने जिले में गिरते भूजल स्थल...
More »सिर्फ कागजों में पुख्ता है खाद्यान्न भंडारण
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अनाज भंडारण की कमी और बंपर बर्बादी की आशंकाओं पर चौतरफा आलोचना झेल रहे केंद्र ने अब राज्यों से मदद की गुहार लगाई है। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने राज्यों से एकमुश्त छह महीने का राशन का अनाज उठा लेने का आग्रह किया है। सरकारी बहीखातों में खाद्यान्न भंडारण का प्रबंधन पुख्ता जरूर है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं दूर है। कागजी बंदोबस्त में भी...
More »तीन दिन में 600 ग्रामीणों ने बना डाली 20 किमी सड़क
गोइलकेरा (जमशेदपुर). नक्सलवाद प्रभावित झारखंड के 10 गांवों ने सरकार के आगे हाथ फैलाने बंद कर दिए हैं। इन गांवों के 600 लोगों ने प्रशासनिक मुख्यालय गोइलकेरा तक पहुंचने के लिए बदहाल 20 किलोमीटर सड़क अपने ही दम पर बना ली है। महज तीन दिनों में। नक्सलवादियों के आतंक और सरकारी मशीनरी की उपेक्षा के बीच यह आत्मनिर्भरता का अनूठा उदाहरण है। यह प्रयास गोइलकेरा के सबसे पिछड़े व सुदूरवर्ती पंचायत गमहरिया में...
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