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मनरेगा - पांच साल दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना के

बहुत थोड़ी होती है पांच साल की अवधि फिर भी नरेगा की उपलब्धियां आवाक कर रही हैं। देश के सर्वाधिक गरीब में शुमार लोगों में से तकरीबन दस करोड़ ने बैंक या फिर पोस्ट-ऑफिस में बैंक अकाऊंट खोले हैं, लोग अपना अधिकार समझकर काम मांग रहे हैं, हजारों गांवों में कुएं-तालाब और ऐसे ही सामुदायिक इस्तेमाल के कई संसाधन तैयार हो रहे हैं, औरत हो या मर्द- दोनों को बराबर के काम के लिए बराबर की...

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सरकार के इंतजार में कुंवारी रह गईं हमारी बेटियां

रांची। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सरकार ने 2010-11 में बीपीएल परिवारों की 10 हजार बेटियों की शादी कराने का लक्ष्य रखा था, लेकिन वह मात्र एक हजार लड़कियों के हाथ ही पीले करा सकी। नौ हजार सिर्फ इंतजार करती रह गईं। इससे अभिभावकों को उनके विवाह के लिए जमीन बेचनी पड़ी या कर्ज लेना पड़ा। कई तो पैसे के अभाव में अब तक कुंवारी हैं। इस मद में 10 करोड़...

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‘कम्प्यूटरजी’ बताएंगे संपत्ति का असली मालिक : मुनीष शर्मा

इंदौर. संपत्तियों की रजिस्ट्री में ‘खेल’ अब पुराने जमाने की बात हो जाएगा। पंजीयन विभाग भी कम्प्यूटराइजेशन की राह पर चल पड़ा है, इससे फायदा यह होगा कि कोई शख्स एक ही संपत्ति के दस्तावेज को दो या इससे ज्यादा बार रजिस्टर्ड करना चाहेगा, तो कम्प्यूटर उसकी पोल खोल देगा। पंजीयन विभाग ने कम्प्यूटराइज के लिए एक कंपनी को 39 करोड़ रु. का कॉन्ट्रेक्ट दिया है। संभावना है इस साल के अंत तक...

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किसानों को कैलेंडर के जरिये मिलेंगे खेती के टिप्स

पानीपत. किसानों को खेती करने की नई तकनीक जानने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। अब वे आसानी से कैलेंडर के जरिए खेती के टिप्स जान पाएंगे। कृषि विभाग ने एग्रीकल्चर टेक्नालॉजी मैनेजमेंट एजेंसी( आत्मा) के तहत 6600 कैलेंडर छपवाए हैं। कैलेंडरों पर करीब 72 हजार रुपए का खर्च आया है। ये कैलेंडर किसानों को कृषि विकास अधिकारियों, वन विभाग, पशुपालन विभाग व मत्स्य विभाग के माध्यम से बांटे जाएंगे। कैलेंडर...

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एक समान शिक्षा का विकल्प शिरीष खरे

‘स्कूल चले हम’ कहते वक्त अलग-अलग स्कूलों में पल रही गैरबराबरी पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता. एक ओर जहां क, ख, ग लिखने के लिए ब्लैकबोर्ड तक नही पहुंचे हैं, वहीं दूसरी तरफ चंद बच्चे प्राइवेट स्कूलों में मंहगी ईमारत, अंग्रेजी माध्यम और शिक्षा की जरूरी व्यवस्थाओं का फायदा उठा रहे हैं. केन्द्रीय कर्मचारियों के बच्चों के लिए केन्द्रीय विद्यालय हैं, सैनिको के बच्चों के लिए सैनिक स्कूल हैं, तो...

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