नई दिल्ली। बेशक 2014 से कंपनियों के बोर्डों में महिलाओं की संख्या बढ़ी है, लेकिन इनमें से करीब आधी या तो प्रमोटरों के परिवार का हिस्सा हैं या रिश्तेदार। यह नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता के अभाव की तरफ इशारा करता है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। फरवरी, 2014 में बाजार नियामक सेबी ने दिशानिर्देश जारी किए थे। इसमें कंपनियों को अनिवार्य रूप से अपने निदेशक मंडल में...
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रोक से नहीं रुकेगी किराये की कोख- रंजना कुमारी
सरोगेसी, सरोगेसी, विधेयक, 2016, भारत में सरोगेसी की पूरी प्रक्रिया में महिलाओं, खासकर गरीब तबके की औरतों का काफी शोषण हो रहा था। उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा था, और उनके स्वास्थ्य के प्रति भी लापरवाही बरती जा रही थी। सरोगेसी (नियमन) विधेयक, 2016 को लाया जाना वक्त की जरूरत थी, मगर इस रूप में नहीं, जैसा लाया गया है। भारत में सरोगेसी की पूरी प्रक्रिया में महिलाओं, खासकर...
More »बेड़ियों से बेटियों की छलांग-- नासिरुद्दीन
हमारे समाज ने एक ‘अच्छी लड़की' के गुण तय कर रखे हैं. क्या हिंदू क्या मुसलमान, ‘अच्छी लड़की' के पैमाने के मामले में सभी धर्मों और जातियों में बिना किसी भेदभाव के एका है. लड़की का मामला है, इसलिए उसके अच्छे या बुरे होने का पैमाना कोई और ही तय करता है. कुछ धर्म/जाति के नाम पर तय होता है, कुछ घर-परिवार तय करते हैं, तो कुछ पंचायत और समाज...
More »उज्जवला का उजाला सबसे ज्यादा नांदगांव, धमतरी में, 11 जिलों में नहीं पहुंची LPG
रायपुर। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में छत्तीसगढ़ के कुल 25 लाख परिवारों को गैस कनेक्शन देने की योजना में अब तक सवा चार लाख से कुछ अधिक हितग्राहियों का अनुमोदन हो पाया है और मात्र चार हजार को लाभ मिला है। लेकिन खास बात यह है कि योजना का क्रियान्वयन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव और पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर के गृह जिले धमतरी में बेहतर तरीके से...
More »दो मोर्चों पर सबसे ज्यादा नाकाम रहे नरेंद्र मोदी-- तवलीन सिंह
रियो में फिर वही हुआ, जो अक्सर होता है भारतवर्ष के साथ ओलंपिक खेलों में। यानी छोटे-छोटे देश हमारे विशाल देश से ज्यादा पदक हासिल कर जाते हैं। इस बार दो महिलाओं ने लाज बचाई, वरना शायद खाली हाथ लौट कर आते हमारे खिलाड़ी। जैसा अक्सर होता है, जब भारतवासी दुनिया के मुकाबलों में नाकाम होते हैं, विशेषज्ञ निकल कर आए अपने बिलों से विश्लेषण करने। सो, इस बार हमको...
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