झाबुआ। झाबुआ के आधा दर्जन गांवों में कुपोषण व बीमारियों से तीन माह में हुई 43 बच्चों की मौत ने झाबुआ से लेकर दिल्ली तक कोहराम मचा दिया है। प्रशासन व प्रदेश सरकार जहां इन मौतों से पल्ला झाड़ एक सिरे से नकार रही है। वहीं यह मामला यूनिसेफ व संयुक्त राष्ट्र संघ में गूंजने से केन्द्र सरकार भी सतर्क हो गई है। यही कारण है कि आनन-फानन में केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री कृष्णा...
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अपीलों के बोझ से दब जाएगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। देश में निचली अदालतों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक लंबित मुकदमों के बढ़ते अंबार से हर तरफ चिंता है। हालात कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा खुद सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से लगाया जा सकता है। विशेष अनुमति याचिकाओं की बढ़ती संख्या पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर इसी तरह हर याचिकाओं को स्वीकार किया जाता रहा तो एक दिन खुद सुप्रीम कोर्ट इनके बोझ से दब जाएगा।...
More »रैनबसेरों की व्यवस्था पर राज्यों को मोहलत
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बेघर लोगों को रैनबसेरा मुहैया कराने के प्रावधान पर जवाब देने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दो हफ्तों का समय और दिया है और ऐसा नहीं करने पर अधिकारियों को अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की पीठ ने कुछ राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा पीठ के 10 फरवरी के निर्देश के बावजूद इस मुद्दे पर जवाब नहीं...
More »पुरखों की जमीन दी, बदले में क्या मिला.. !!
राउरकेला स्टील प्लांट की स्थापना के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू और जयपाल सिंह मुण्डा आए थे और गांव वालों को समझा बुझा कर विकास के नाम पर जमीन ले लिया था. आज पचास सालों के बाद विस्थापितों के हालात भिखमंगों की तरह हो गई है. उन्ही विस्थापितों में से एक हैं लुसिया तिर्की जो मंदिरा डैम से उजाड़ दी गई. उनका कहना है कि जमीन का कागज अभी तक...
More »तो अब नहीं मिलेगी तारीख पर तारीख
तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख। जज साहब, यहां न्याय नहीं मिलता, मिलती है तो सिर्फ तारीख। जीं हां, फिल्म दामिनी में बोला गया यह डायलाग लोगों को इस कदर याद हो गया है कि जब भी किसी केस के जजमेंट में देरी की बात आती है तो आदमी यही लाइन्स दोहराता है। पर अब एक राहत की बात यह है कि अगर सब कुछ सही रहा तो लोगों को कोर्ट से तारीख पर तरीख...
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