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'आरटीआई संज्ञा नहीं अब क्रिया हो गई है' दैनिक हिन्दुस्तान के विशेष संवाददाता श्याम सुमन की प्रस्??

देश के इतिहास में आरटीआई ऐक्ट एक ऐसा कानूनी दस्तावेज है, जो जनता का राज सुनिश्चित करता है। इस कानून ने नागरिकों को अधिकारों से लैस किया है, जिससे सरकारी तंत्र की नींद टूटी है और उसे जनता के प्रति अपनी जवाबदेही का अहसास हुआ है। लेकिन इन अधिकारों से अब सरकार कुछ परेशान-सी दिख रही है और सरकार में यह मत बनने लगा है कि इस कानून की समीक्षा...

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शिक्षा के मंदिर, शोक की घंटियां- शुभम उपाध्याय

आईआईटी संस्थानों में बढ़ती आत्महत्याओं की खबरों के बीच इस समस्या के तमाम पहलुओं की पड़ताल करती शुभम उपाध्याय की रिपोर्ट हिंदुस्तान के पहले आईआईटी, आईआईटी खड़गपुर के 1956 में हुए पहले दीक्षांत समारोह में पंडित नेहरू ने कहा था, ‘यह हिंदुस्तान की एक उत्कृष्ट धरोहर है, जो हमारी उम्मीदों का प्रतिनिधित्व करेगी और हिंदुस्तान के भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी.’ मगर न तो आईआईटी संस्थानों की स्थापना में...

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80 हजार करोड़ का खाद्यान्न हो जाता है नष्ट : डॉ. खोखर

देश में कृषि उत्पादों के भंडारण, ढुलाई, कीट, बीमारियों के चलते हर वर्ष 60 से 80 हजार करोड़ रूपये का खाद्यान्न नष्ट हो जाता है। इसलिए कृषि वैज्ञानिक ऐसे तकनीके इजाद करें जिससे अनाज की पोस्ट हार्वेस्ट क्षति को रोका जा सके। यह चिंता जताते हुए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केएस खोखर ने देश में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए वर्षा पर निर्भर शुष्क क्षेत्रों के लिए विशेष कार्य...

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पौष्टिक है गोल्डन राइस

दुनिया में खाद्यान्न के बढ़ते संकट की चुनौतियों का उपाय तलाशने में जुटे रिसर्च संस्थानों में शामिल फिलीपींस स्थित इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी ईरी के उप महानिदेशक ऑपरेशंस डॉ. विलियम जी पैडोलिना से संजय मिश्र की बातचीत: -उत्पादन बढ़ने के बावजूद विश्व में खाद्यान्न एक बड़ी समस्या बन गया है। आखिर भविष्य में इसकी पर्याप्त उपलब्धता को लेकर गंभीर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं? यह सवाल उठना लाजिमी है,...

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महंगी चिकित्सा और मरते गरीब-- भगवती प्रसाद डोभाल

आज के दौर में अलग-अलग रोगों के लिए निजी अस्पतालों की पूरे देश में बाढ़-सी आ गई, पर इनमें इलाज कितना अच्छा हो रहा है, उसकी पड़ताल आवश्यक है। यह भी देखने में आया है कि इन अस्पतालों में इलाज कराना आम जनता के बस की बात नहीं है। दूसरी ओर, सरकारी अस्पतालों की दिनोंदिन खस्ता होती हालत से इलाज के अभाव में गरीब जल्द ही इस दुनिया से विदा...

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