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दूरसंचार की दूसरी क्रांति- गोपाल विट्ठल

लगभग 75 फीसदी क्षेत्र और 90 फीसदी आबादी तक पैठ जमाकर मोबाइल ने देश के कोने-कोने में अपनी असरदार उपस्थिति दर्ज कराई है। आधुनिकतम तकनीकों, न्यूनतम शुल्क दरों और अनूठे बिजनेस मॉडलों के जरिये भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि जोश, कुशलता और उद्यमिता की बदौलत विश्व स्तर के उद्योग को कुछ ही वर्षों में कैसे खड़ा किया जाता है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पांच...

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स्त्री सशक्तीकरण की शर्तें- विकास नारायण राय

जनसत्ता 16 जून, 2014 : बलात्कार और हत्या पर राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए बदायूं के कटरा सादतगंज गांव में पहुंचने वाले राजनीतिकों को उपेक्षा से नहीं लेना चाहिए। न इस जमात के दूर से ऊलजलूल अर्द्ध-सत्य बोलने वालों को। दरअसल, इन सतही कवायदों में स्त्री-सशक्तीकरण के पैरोकारों के लिए एक निहित संदेश है- स्त्री-विरुद्ध हिंसा के मसलों पर समग्र राजनीतिक एजेंडे की सख्त जरूरत है। मीडिया, एनजीओ और कानून...

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इन्क्लूसिव मीडिया- यूएनडीपी फैलोशिप 2014 के लिए आवेदन आमंत्रित हैं

इन्कूलिसिव मीडिया-यूएनडीपी फैलोशिप-2014 के लिए पत्रकारों से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में आवेदन आमंत्रित हैं। फैलोशिप के लिए आवेदन विकासशील समाज अध्ययन पीठ( सीएसडीएस) की एक परियोजना इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज की ओर से आमंत्रित किए गए हैं। यह फैलोशिप ग्रामीण-संकट/ ग्रामीण-विकास तथा वंचित तबके के मुद्दों पर मीडिया कवरेज बढ़ाने और कवरेज को पैना बनाने के लिए दी जा रही है। फैलोशिप का उद्देश्य लोकतांत्रिक सामाजिक बदलाव को बढ़ावा देना है, खासकर सशक्तीकरण, भागीदारी और सुशासन(गुड-गवर्नेंस) के जरिए।   इन्कूलिसिव मीडिया फॉर...

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बदायूं गैंगरेपः महिला आयोग बोला- दबंगई दिखाने के लिए पेड़ से टांगी गई लड़कियां

लखनऊ. यूपी के बदायूं में दो दलित युवतियों से गैंगरेप कर उन्हें पेड़ पर टांगे जाने की घटना की देश-दुनिया में जमकर निंदा हो रही है। यूपी की महिला आयोग की जांच टीम ने मामला की जांच के बाद कहा है कि दबंगई दिखाने के लिए गैंगरेप के बाद लड़कियों को पेड़ से टांगा गया था। घटना की जांच करने पहुंची राज्य महिला आयोग टीम का कहना है कि सरकार...

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कौन रुके, कौन देखे और तब चले!- रंजन कुमार सिंह

पैर अभी सड़क पर पड़े ही थे कि सामने से आती गाड़ी को देख कर ठिठक गये. गाड़ी जितनी तेजी से चली आ रही थी, उतनी ही तेजी से चालक ने ब्रेक लगा दी. मैं समझ नहीं पा रहा था कि मुङो रुकना चाहिए या सड़क पार कर लेनी चाहिए, लेकिन गाड़ी तब तक रुकी रही, जब तक कि मैं सड़क पार नहीं कर गया. यह वाकया जाहिर तौर पर...

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