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राजस्थान ने सूखे से निपटने के लिए मांगे साढ़े दस हजार करोड

जयपुर। राजस्थान सरकार ने राज्य में सूखे के हालात से निपटने के लिए केंद्र सरकार से 10 हजार 537 करोड रूपए की आर्थिक सहायता की मांग की है। इसके साथ ही पेयजल परिवहन की व्यवस्था कराने की मांग भी की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बताया कि राजस्‍थान में राज्य सरकार अपने अल्प वित्तीय संसाधनों से सूखे एवं पानी की कमी से...

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तानाशाही नेतृत्व, खैरात की राजनीति-- राजदीप सरदेसाई

बाहर से देखने पर जयललिता और ममता बनर्जी एक-दूसरे से उतनी ही भिन्न हैं, जितना इडली सांभर, माछेर झोल से। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री पोएस गार्डन की स्वयंभू साम्राज्ञी हैं। पहुंच से दूर ऐसी शख्सियत, जो राजसी ठाठ-बाट से रहती हैं। इसके ठीक विपरीत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सलवटों वाली साड़ी और चप्पलों में खुद को लोक नायिका के रूप में पेश करना पसंद करती हैं और सड़क पर संघर्ष करने...

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किसानों के अनुभव : समाज को निबटना होगा सूखे से, सरकार के भरोसे नहीं

लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...

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साढ़े सात करोड़ की आबादी में पांच करोड़ गरीब कैसे ? गड़बड़ है : सीएम

इंदौर। 'ग्रामोदय से भारत उदय' अभियान में शामिल होने सांवेर विधानसभा क्षेत्र के बूढ़ी बरलाई ग्राम पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए सरकार तमाम सुविधाएं जुटा रही है। प्रदेश की जनसंख्या साढ़े सात करोड़ है और पांच करोड़ से ज्यादा लोगों के नाम गरीबी रेखा में जुड़ गए। इतने गरीब कहां...

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श्रद्धा केंद्र क्यों बने हैं आंबेडकर!- उर्मिलेश

समय और समाज भी कुछ अजीब ढंग से चलते हैं. कुछ चीजें, कुछ लोग और कुछ घटनाक्रम जो हमारी सामूहिक स्मृति से लगभग गायब हो गये होते हैं, वे एक खास कालक्रम में अचानक प्रासंगिक होकर हमारी सामूहिक चेतना का हिस्सा बन जाते हैं. यह सब समाज और समय की अपनी गत्यात्मकता के कारण होता है. आठवें दशक में हिंदी पट्टी के ज्यादातर पुस्तकालयों या बुक स्टोर्स पर डाॅ भीमराव...

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