जनसत्ता, 25 जनवरी पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के कृषि अर्थशास्त्रियों और वैज्ञानिकों के एक नए अध्ययन में यह बात कही गई है। देश में कुल अनाज की 12 फीसद खेती पंजाब में होती है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) की मौसम पत्रिका में इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित अध्ययन में पांच प्रमुख फसलों-धान, मक्का, कपास, गेहूं और आलू पर जलवायु परिवर्तन के असर को दिखाने के लिए 1986 से 2020 के...
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कार्बन मूल्य-निर्धारण क्या है?
मोंगाबे हिंदी, 5 जनवरी उन्नीस सौ बीस के दशक में एक ब्रिटिश अर्थशास्त्री आर्थर पिगौ ने उद्योगों को उनके द्वारा किए गए प्रदूषण की लागत के लिए भुगतान करने के सामाजिक लाभों पर प्रकाश डाला। समय के साथ इस अवधारणा को अलग-अलग तरीकों से लिया गया जिससे ‘कार्बन मूल्य निर्धारण’ की अवधारणा सामने आई। विश्व बैंक के अनुसार कार्बन मूल्य निर्धारण एक उद्योग द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण से नुकसान की भरपाई के लिए...
More »अध्ययन में दावा-1990-2019 के बीच दुनिया की 1% आबादी के कारण 23% कार्बन उत्सर्जन बढ़ा
दिप्रिंट, 6 अक्टूबर कार्बन फुटप्रिंट अनुमान और आय असमानता के विश्लेषण पर आधारित एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि 2019 में 48 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए दुनिया की सिर्फ 10 फीसदी आबादी जिम्मेदार थी. इसके अलावा, अध्ययन में यह भी कहा गया है कि 1990 से 2019 के बीच कार्बन उत्सर्जन में लगभग एक चौथाई वृद्धि के लिए उत्सर्जकों के शीर्ष तबके में शुमार करीब...
More »अर्थशास्त्री अभिजीत सेन का निधन
अमर उजाला, 30 अगस्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रमुख विशेषज्ञ और योजना आयोग के पूर्व सदस्य प्रोफेसर अभिजीत सेन का एक लंबी बीमारी के बाद सोमवार रात निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे। इसकी जानकारी उनके भाई ने दी। उन्होंने अपने चार दशकों से अधिक के अकादमिक करियर में कई बड़े नामी संस्थानों में पढ़ाया। अभिजीत सेन ने 1985 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाया, यहां पर वह आर्थिक अध्ययन के...
More »जेंडर
खास बात साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38% फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...
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