सूखे राशन के प्रावधान के माध्यम से प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, सामुदायिक रसोई चलाने और 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना के उचित कार्यान्वयन से संबंधित भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) हमारे लिए किसी भी तरह से आश्चर्यजनक नहीं है. ज्यां द्रेज और अनमोल सोमांची द्वारा कुछ अध्ययनों की हालिया समीक्षा, जो बहु-राज्य सर्वेक्षणों (या...
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नया सामाजिक सुरक्षा क़ानून मज़दूरों के हक़ में कितना हितकारी होगा
-द वायर, भारत सरकार ने सितंबर 2020 में लोकसभा में एक कानून पारित किया, जो उन चार कानूनों में से एक है जो मजदूरों के हित में होना चाहिए. वो होगा या नहीं, ये अलग बात है जिसका हम विश्लेषण इस लेख में कर रहे हैं. सामाजिक सुरक्षा कानून 2020 के अतिरिक्त तीन और कानून हैं, जो न्यूनतम मजदूरी, औद्योगिक संबंध और व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित हैं. जी-20 देशों में एक हमारा ही...
More »लेबर कोड के विरोध में ट्रेड यूनियनों का देशव्यापी प्रदर्शन, जंतर-मंतर पर जलाई प्रतियां
-न्यूजक्लिक, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय मंच ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए लेबर कोडों के ख़िलाफ़ किया देशव्यापी विरोध प्रदर्शन। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आव्हान पर दिल्ली में भी एक अप्रैल को विवादित लेबर कोड और सरकारी और पब्लिक सेक्टर के निजीकरण, निगमीकरण, रोजगार व असंगठित श्रमिकों पर बढ़ते हमलों, कृषि कानूनों एवं महंगाई के खिलाफ जंतर मंतर नई दिल्ली पर विरोध प्रदर्शन किया और लेबर कोड़ों की...
More »दाने-दाने को मोहताज हुए दिल्ली के मजदूर
-डाउन टू अर्थ, लगभग डेढ़ माह पहले पूरे देश का ध्यान महानगरों से अपने घर गांव लौट रहे मजदूरों की ओर था। डाउन टू अर्थ ने तब इन मजदूरों के साथ पैदल सफर किया, लेकिन समय के साथ इन मजदूरों को फिर से भुला दिया गया है। लॉकडाउन खुल चुका है। ऐसे में जो मजदूर अपने गांव नहीं जा पाए या जो गांव में काम न मिलने पर फिर से महानगर...
More »‘आत्मनिर्भर भारत’: सरकार द्वारा जनता की जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने का बहाना?
-न्यूजलॉन्ड्री, कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते प्रभाव के कारण एक ओर देश की सामाजिक आर्थिक एवं शैक्षिक स्थिति बद से बदतर बनती जा रही है तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भरता की घोषणा के द्वारा जनता के प्रति कई जवाबदेहियों से अपने को मुक्त कर लिया है जिसके चलते सभी क्षेत्रों में घोर निराशा का वातावरण छाया हुआ है. आर्थिक मोर्चे पर गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले तथा...
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