जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
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मणिपुर में एक सत्याग्रह के नौ साल
अब से ठीक दो हफ्ते बाद 4 नवंबर 2009 को एक पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में एक सत्याग्रह के नौ साल पूरे होंगे। अब से ठीक दो हफ्ते बाद दुनिया की तारीख में चुपके से कहीं दर्ज होगा कि एक स्त्री पूरे नौ सालों से भूखी-प्यासी राजकीय हिंसा के खिलाफ अडिग होकर खड़ी है और उसका नाम राजकीय हिंसा से गांधीवादी तरीके से लड़ने वाली महिला-शक्ति का एक प्रतीक बन...
More »दमन का दुश्चक्र...
मणिपुर ऐसी जगह बन चुकी है जहां ज्यादातर चीजें जैसी दिखती हैं या बताई जाती हैं वैसी असल में होती नहीं. डर यहां के लोगों की जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है. कहा जाता है कि अकेले इस साल ही विद्रोहियों और सुरक्षा बलों के टकराव में अब तक 300 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।फर्जी मुठभेड़ का सच सामने आने के बाद सुलगते मणिपुर का दौरा करके आईं...
More »न्याय:कितना दूर-कितना पास
खास बात • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।* • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...
More »मानवाधिकार
खास बात • साल 2014 में बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की घटनाओं में तेज इजाफा हुआ। पिछले (साल के 23 प्रतिशत से बढ़कर 2014 में 50 प्रतिशत) * • भारत की आबादी का 1.14 प्रतिशत हिस्सा यानी तकरीबन 1 करोड़ 40 लाख लोग गुलामी के आधुनिक रुपों के शिकार हैं। ** • साल २००६ में भारत में १४२३ कैदियों की प्राकृतिक अथवा अप्राकृतिक कारणों से जेलों में मौत हुई।*** • उत्तरप्रदेश में...
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