नई दिल्ली। सरकार की एक जांच में चावल, गेहूं, दाल, फल, सब्जी, दूध जैसे खाद्य पदार्थों में ऐसे कीटनाशक पाए गए हैं जिनके इस्तेमाल की इजाजत नहीं है। देशभर में खुदरा और थोक दुकानों से पिछले साल 20,618 सैंपल लिए गए थे। इनमें से 12.5 फीसदी में ऐसे कीटनाशक पाए गए। यह खुलासा कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में हुआ है। इसके मुताबिक 543 या 2.6 फीसदी सैंपल में अधिकतम...
More »SEARCH RESULT
खाने-पीने की चीजों में मिले अवैध कीटनाशकों के अवशेष
नई दिल्ली। देशभर के विभिन्न खुदरा दुकानों और थोक मंडियों से ली गई सब्जियों, फलों, दूध और खाने-पीने की अन्य चीजों में अवैध कीटनाशक के अवशेष पाए गए हैं। ऑर्गेनिक आउटलेट्स से लिए गए नमूनों में भी कीटनाशकों की मौजूदगी पाई गई। राष्ट्रीय स्तर पर एकत्र किए गए 20,618 नमूनों में से 12.50 प्रतिशत में कीटनाशकों के अवशेष मिले। ये नमूने कीटनाशक अवशेषों की निगरानी के लिए साल 2005 में शुरू...
More »ताकि फिर न हो मैगी जैसी घटना- प्रदीप एस मेहता
मैगी से जुड़े हाल के विवाद ने बहुतों को गहरी नींद से जगा दिया है। इसके बाद सिर्फ मैगी या नेस्ले की छवि खराब नहीं हुई है, बल्कि फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड ऐक्ट, 2006 (एफएसएसए) और विनियंत्रक फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की छवि भी दांव पर है। वैसे तो असंगठित पैकेज्ड और गैर पैकेज्ड खाद्य उत्पादों के प्रति उपभोक्ता हमेशा ही सशंकित रहते हैं, पर हाल...
More »खाद्य प्राधिकरण भी शक के घेरे में
मुकेश केजरीवाल, नई दिल्ली। लोगों की सेहत से खिलवाड़ का आरोप सिर्फ मैगी नूडल्स पर ही नहीं इसे मंजूरी देने और फिर प्रतिबंध लगाने वाली केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एजेंसी पर भी है। भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) पर कई और उत्पादों की मंजूरी में धांधली और भ्रष्टाचार के आरोप खुद इसके निदेशक रहे तीन अधिकारियों ने लगाए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को भेजी अपनी शिकायत में...
More »जहर की खेती कब तक
मानव स्वास्थ्य : कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से खाने-पीने के सामान हुए जहरीले यूरोप में भारतीय आम पर प्रतिबन्ध ने नीति निर्घारकों को सोचने का एक और मौका दिया है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के खिलाफ पत्रिका लम्बे समय से मुहिम चलाता रहा है। अनेक शोध और अध्ययन बताते रहे हैं कि खाने-पीने की चीजों में जहर फैलता जा रहा है। सरकार से लेकर आम उपभोक्ता तक सभी को...
More »