-विलेज स्कवायर, चंद्रशेखर का खेत खारी हवा और लहरों की आवाज़ के बीच, बंगाल की खाड़ी के तट से सिर्फ 50 मीटर दूर है। पुदुचेरी के नरमाई गाँव के चंद्रशेखर (60) दो दशक से ज्यादा समय से यहाँ खेती कर रहे हैं। पहले वे कैसुआरिना और नारियल के पेड़ उगाते थे। चंद्रशेखर बताते हैं – “कैसुआरिना के पेड़ हमें हर छह या सात साल में उपज देते हैं और इस तटीय क्षेत्र...
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प्रसंगवश : संभावनाओं से भरे खेतों को बाजार से जोड़ना जरूरी
मौसम रूठा, बादलों से ओले बरसे और देखते ही देखते मध्यप्रदेश के एक हिस्से की फसलें जमीन पर जा गिरीं! यहां सरकार की मजबूरी समझी जा सकती है, लेकिन उसी दौरान दूसरे इलाके के खेतों में बंपर पैदावार की वजह से भाव नहीं मिले और किसान सड़कों पर टमाटर फेंकते, खेतों से पौधे उखाड़ते नजर आए! यह हर हाल में अस्वीकार होना चाहिए, किसान को भी और सरकार को भी!...
More »हरियाली से कुपोषण मिटाने की मुहिम--- बाबा मायाराम
मध्य प्रदेश के बैतूल और हरदा जिले में पिछले कुछ सालों से आदिवासी हरियाली अभियान चला रहे हैं। उनका नारा है- हरियाली लाएंगे, भुखमरी मिटाएंगे।इस मुहिम का उद्देश्य है, पहला तो यह कि आदिवासियों को कुपोषण से निजात मिल सके, उनकी आमदनी बढ़ सके और दूसरा, जंगलों को फिर से हरा-भरा बनाया जा सके, पर्यावरण सुधारा जा सके और जैव-विविधता का संवर्धन और संरक्षण किया जा सके। इससे मिट्टी...
More »जंगल से आती है भोजन की थाली-- बाबा मायाराम
पिछले साल सत्रह सितम्बर की सुबह 10 बजे थे। ओडिशा का छोटा कस्बा था मुनिगुड़ा। स्कूली बच्चों की एक टोली की भीड़ जमा है। यहां एक खाद्य प्रदर्शनी लगी है। कोई बैल की आकृति का भूरा कांदा, गुलाबी और लाल बेर, गहनों की तरह चमकते मक्के के भुट्टे, काली और सुनहरी धान की बालियां,फल्लियां और छोटे दाने का सांवा, कुटकी और मोतियों की तरह की ज्वार। इस खाद्य प्रदर्शनी में...
More »काजू की खेती ने बदल दी इस गांव की तस्वीर
दिलीप गुप्ता, शाहपुर। आम लोगों की पहुंच से दूर रहने वाला काजू यदि आदिवासी किसानों के घरों में बोरियों में रखा मिले तो चौंकना लाजिमी है। लेकिन यह हकीकत है और बैतूल जिले के शाहपुर ब्लाक में आने वाले ग्राम अड़माढाना के लगभग हर घर में एक- दो नहीं क्विंटलों से काजू भरा पड़ा है। ड्राय फूड्स में सबसे मंहगा मिलने वाला काजू छोटे से गांव के हर घर में बाड़ी...
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