डाउन टू अर्थ, 24 जनवरी मानवजनित कारणों से लुप्तप्राय स्टेपी-लैंड पक्षी और लिटिल बस्टर्ड को बचाने के लिए वैज्ञानिक, किसान और संरक्षणकर्ताओं के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक आवासों में कमी, सिंचाई में वृद्धि और शहरीकरण के कारण सतही क्षेत्र कम हो गए हैं, जो इस कमजोर प्रजाति के अस्तित्व के लिए अहम हैं। जर्नल बायोलॉजिकल कंजर्वेशन में प्रकाशित एक शोध से पता चलता है कि लिटिल बस्टर्ड की सबसे अधिक खतरे...
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भारत में खेती से बढ़ रहा है ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, सरकार ने माना
डाउन टू अर्थ, 15 जनवरी भारत के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कृषि दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। हालांकि 2016 से 2019 तक कुल उत्सर्जन में कृषि की हिस्सेदारी 14.4 प्रतिशत से घटकर 13.4 प्रतिशत हुई है, लेकिन फिर भी इस क्षेत्र से होने वाला पूर्ण उत्सर्जन 3.2 प्रतिशत बढ़ गया, जो 421 मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड के समकक्ष (MtCO2e) तक पहुंच गया। कृषि के कारण कुल उत्सर्जन 4.5 प्रतिशत बढ़कर 2019 में...
More »अन्यत मिलेटः अरुणाचल की थाली में वापस आ रहा पारंपरिक खान-पान से जुड़ा मोटा अनाज
मोंगाबे हिंदी, 22 दिसम्बर माटी पर्टिन अब इस दुनिया में नहीं है। 97 साल की उम्र में उनका निधन हुआ। जैसे-जैसे पर्टिन की उम्र बढ़ती गईं, उन्हें अन्यत (एक तरह का मोटा अनाज) की खूब याद आती थी। दरअसल, वह इसी अनाज को खाकर बड़ी हुई थी। उनकी पोती डिमम पर्टिन ने कहा, दादी के युवावस्था में यह मोटा अनाज खान-पान का अहम हिस्सा था। तब वह अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी...
More »तमिलनाडु: बदलते मौसम का असर, पारंपरिक धान की खेती से दूर जा रहे किसान
इण्डियास्पेंड, 20 दिसम्बर तमिलनाडु के जिला तंजावुर की पंचायत ओझुगासेरी में रहने वाले दिनेश पांडीदुरई और उनके जैसे कई अन्य किसानों ने गर्मी ने लगने वाली धान की किस्म सांबा ना लगाने का फैसला किया है। लंबे समय तक ज्यादा गर्मी और उसके बाद मानसून सीजन में अच्छी बारिश ना होने की वजह से इस क्षेत्र का भूजल सूख गया है। पानी की दिक्कत उन खेतों में भी है जो कोल्लीडैम नदी...
More »खेती पर आपदाओं की गाज से किसानों पर सालाना पड़ रही है 10.2 लाख करोड़ रुपए की मार
डाउन टू अर्थ, 01 दिसम्बर खेती-किसानी आसान नहीं और ऐसे में जब साल दर साल आपदाओं का जोखिम बढ़ रहा है तो इसे करना महंगा सौदा बनता जा रहा है। खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इन आपदाएं के चलते दुनिया भर के किसानों पर हर साल 10.2 लाख करोड़ रुपए (12,300 करोड़ डॉलर) से ज्यादा की मार पड़ रही है। जो वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र...
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