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ग़रीबों-मज़दूरों की थाली से रोटियाँ ग़ायब, पर गोदी मीडिया में ग़रीब ही ग़ायब!

जुलाई 2019 में आयी विश्व खाद्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 19 करोड़ 44 लाख लोग अल्पपोषित हैं, यानी देश के हर छठे व्यक्ति को मनुष्य के लिए ज़रूरी पोषण वाला भोजन नहीं मिलता। इसी तरह वैश्विक भूख सूचकांक 2019 के मुताबिक़ भूख और कुपोषण के मामले में भारत 117 देशों में 102वें स्थान पर है, जबकि श्रीलंका (66), बंगलादेश (88) और पाकिस्तान (94) भी हमसे ऊपर...

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नए साल पर जलते-बंटते मुल्क में मीडिया-रुदन

पिछले ही हफ्ते ओलिंपिक खेलों में प्रवेश के लिए मुक्केबाज़ी का ट्रायल हुआ था. मशहूर मुक्केबाज़ मेरी कॉम ने निख़त ज़रीन नाम की युवा मुक्केबाज़ को हरा दिया. इस घटना से पहले और बाद में क्या-क्या हुआ, वह दूर की बात है. मुक्केबाज़ी के इस मैच और उसके नतीजे की ख़बर ही अपने आप में जिस रूप में सामने आयी, वह मुझे काम की लगी. किसी ने ट्विटर पर किसी...

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झूठी खबरें तो रोकनी ही होंगी-- नवीन जोशी

टीवी के पर्दे पर किसी क्रीम से चुटकियों में कमर दर्द या मुहांसे गायब होते हम रोज देखते हैं. हम जानते हैं कि ऐसा वास्तव में नहीं होता. यह मिथ्या या कह लीजिये अतिरंजित प्रचार है, विज्ञापन है. लेकिन समाचारों पर हम भरोसा करते हैं. अगर समाचार असत्य हो, मुनाफे के वास्ते या किसी की लोकप्रिय छवि बनाने अथवा बिगाड़ने के लिए मिथ्या प्रचार को समाचार का रूप दिया जाये...

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नदी का कोप या नीति में खोट-- चंदन श्रीवास्तव

बारिश, उमस और गरमी के इन दिनों में बदन पर मोटी बंडी कौन पहनेगा भला? लेकिन, मुख्यमंत्री की बात और है! उसे अपने हर क्षण को राजनीतिक मौके में तब्दील करने के लिए उमस में भी सीने पर बंडी बांधनी होती है. हमारे मीडियामुखी समय में कोई क्षण मौके में तब्दील होता है सुर्खियों और तसवीरों में बदल कर. सुर्खियों और तसवीरों के लिए कंट्रास्ट चाहिए, कैमरा और कलम कंट्रास्ट...

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