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कॉप28 के समापन तक भी देशों के बीच नहीं बनी आम सहमति

मोंगाबे हिंदी, 14 दिसम्बर  अट्ठाईसवें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (कॉप28) ने सम्मेलन के पहले दिन जलवायु हानि और क्षति के लिए एक फंड शुरू करने का निर्णय देकर इतिहास रच दिया। लेकिन जैसे-जैसे दो सप्ताह के शिखर सम्मेलन का अंत नजदीक आ रहा है, वित्त, जलवायु कार्रवाई में समानता और – सबसे महत्वपूर्ण रूप से – जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से संबंधित मामलों पर एकता की कमी, बाकी...

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पराली समस्या पर सरकारी प्रयास अव्यावहारिक, क्या है पर्यावरण हितैषी स्थायी समाधान?

डाउन टू अर्थ, 20 अक्टूबर  भारत सहित पूरी दुनिया के लगभग 80 प्रतिशत किसान धान की पराली जलाते हैं, जिससे गंभीर वायु प्रदूषण फैलता है। जो हर साल घनी आबादी और ज्यादा औद्योगिक घनत्व वाले भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मेंं अक्टूबर-नवंबर महीने मेंं हवा की गति कम होने और हिमालय से ठंडी हवा आने से बहुत ज्यादा गंभीर हो जाता है। इस वायु प्रदूषण समस्या के समाधान के लिए केन्द्र...

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पराली समस्या पर सरकारी प्रयास अव्यावहारिक, क्या है पर्यावरण हितैषी स्थायी समाधान?

डाउन टू अर्थ, 18 अक्टूबर  भारत सहित पूरी दुनिया के लगभग 80 प्रतिशत किसान धान की पराली जलाते हैं, जिससे गंभीर वायु प्रदूषण फैलता है। जो हर साल घनी आबादी और ज्यादा औद्योगिक घनत्व वाले भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मेंं अक्टूबर-नवंबर महीने मेंं हवा की गति कम होने और हिमालय से ठंडी हवा आने से बहुत ज्यादा गंभीर हो जाता है। इस वायु प्रदूषण समस्या के समाधान के लिए केन्द्र...

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हिमालय पर संकट: आपदाओं पर अंकुश के लिए पारंपरिक ज्ञान और स्थानीय समुदायों की भागीदारी जरूरी

डाउन टू अर्थ, 11 अक्टूबर हिमालय में बढ़ती आपदाओं पर अंकुश लगाने के लिए ग्राम पंचायतों और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर योजनाएं बनानी होंगी और स्थानीय लोगों के पारंपरिक ज्ञान को आधार बनाना होगा। हिमालय के पर्यावरण पर काम कर रही संस्था हिमधरा पर्यावरण समूह द्वारा ‘हिमालय में आपदा-निर्माण’ नामक रिपोर्ट का सारांश यही है। यह रिपोर्ट 10 अक्टूबर 2023 को जारी की गई। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में भूस्खलन के...

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एक खोखला आश्वासन: कैसे मोदी सरकार ने वन संरक्षण से मोड़ लिया मुंह

द रिपोर्टर्स कलेक्टिव, 19 सितम्बर नई दिल्ली: जुलाई 2017 में डॉ. हर्षवर्धन भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मामलों के केंद्रीय मंत्री हुआ करते थे। उस समय डाॅक्टर हर्षवर्धन ने संसद में आश्वासन दिया था," एक नई वन नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है और यह जल्द ही तैयार हो जाएगा"। मौजूदा वन नीति करीब 29 साल पुरानी हो चुकी थी। नई वन नीति का मकसद सभी तीन...

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