इससे भला कौन इनकार कर सकता है कि बुलेट ट्रेन समय की मांग है। लेकिन जिस देश में 40 हजार करोड़ रुपए की राशि सुरक्षा-उपायों पर खर्च न हो पाने के कारण प्रतिवर्ष सैकड़ों लोग रेल दुर्घटनाओं में मारे जा रहे हों उसी देश में एक रेलवे मार्ग पर बुलेट ट्रेन दौड़ाने के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं! सवाल धनराशि का नहीं, प्राथमिकताओं का है।...
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रेलवे में व्यापक सुधार जरूरी-- आशुतोष चतुर्वेदी
र्गा पूजा, दिवाली और फिर छठ आनेवाला है और यह एक तरह से रेलवे की परीक्षा की भी घड़ी है. पिछले दिनों हुए दो रेल हादसों ने पूरी रेल व्यवस्था को हिला कर रख दिया है. पहले उत्कल एक्सप्रेस और फिर कैफियत एक्सप्रेस की दुर्घटना के बाद रेलवे की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है. रेलवे हम आप सबसे जुड़ा मामला है, इसलिए चिंता और बढ़ जाती है. बिहार,...
More »जुगाड़ की मानसिकता और दुर्घटना-- रघु दयाल
शनिवार को मुजफ्फरनगर के खतौली में हुए रेल हादसे से कई सवाल निकलते हैं। यह ट्रेन पटरी से क्यों उतरी? क्या इस हादसे से बचा जा सकता था? यदि जरूरी परिचलान प्रक्रिया का पालन किया जाता, तो वाकई इस हादसे को टाला जा सकता था। शुरुआती तथ्य इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि ज्वॉइंट पर फिश प्लेट टूटी हुई थीं और मरम्मत करने वाले इंजीनियरों ने 20 मिनट के...
More »गोरक्षकों की कारगुजारियों का काला चिट्ठा खोल रहा विकिपीडिया
गूगल सर्च इंजन भूमंडलीकरण आैर डिजिटाइजेशन के इस युग में दुनियाभर के लोगों में काफी लोकप्रिय है. किसी भी चीज के बारे में जानकारी हासिल करनी हो, तो गूगल सर्च इंजन पर बनाया गया विकिपीडिया काफी उपयोगी साबित होता है. पहले विकिपीडिया गूगल की आेर से ही तैयार किया जाता था, लेकिन अब लोग खुद भी गूगल पर विकिपीडिया बना सकते हैं. सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महारत हासिल करने वालों का...
More »युवा हरदम रहा है आजादखयाल - मृणाल पांडे
कहना कठिन है कि जेएनयू के कमउम्र छात्रों तथा परिसर की गोष्ठियों में कुछ प्रत्याशित सी बहसों तथा अचानक आए अनजान लोगों की उकसाऊ नारेबाजी से सरकार ने एकदम उखड़कर शिक्षकों सहित उस परिसर को लगभग अपना भीषण दुश्मन क्यों मान लिया होगा? इस बात के तूल पकड़ने पर बेवजह उसने देश भर के अकादमिक जगत तथा मीडिया के बडे हिस्से से बेवजह दुश्मनी साध ली, पर अब लगता है...
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