-न्यूजक्लिक, देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘सरकार जी’, जब से वे सरकार जी बने हैं, तब से ही बहुत कोशिश कर रहे हैं। सरकार जी देश को अपने ऊपर निर्भर बनाने की यथा संभव कोशिश कर रहे हैं। जब कभी भी कोई बात उठती है तो प्रश्न यही उठाया जाता है कि वे नहीं तो और कौन। अर्थात देश उन्हीं पर निर्भर है। सरकार जी और उनके सारे समर्थकों की...
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कोरोना काल: कठिन प्रश्नों के सरल जवाब
-न्यूजक्लिक, कोरोना कहर ढा रहा है। चार लाख नये मरीज हर रोज तक हो गये हैं। अगर सरकार चाहेगी तो उसको चार लाख से आगे बढ़ने देगी और अगर चाहेगी तो उसे यहीं पर रोक देगी। पहली लहर के समय में भी सरकार ने कोरोना के मरीजों को एक लाख से नीचे ही रोके रखा था और इस बार भी सरकार जब चाहे कोरोना के मरीजों को बढऩे से रोक सकती...
More »संक्रमण काल: महामारी के दौर में डॉक्टरों की भूमिका, सीमाएं और प्रोटोकॉल के कुछ सवाल
-जनपथ, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 24 मार्च, 2020 को देश के 1.3 अरब लोगों को महज चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन में धकेलेते हुए कहा था कि “यह धैर्य और अनुशासन बनाए रखने का समय है।..[आप] डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, पैथोलॉजिस्ट के बारे में सोचें जो अस्पतालों में दिन-रात काम कर रहे हैं ताकि प्रत्येक जिंदगी को बचाया जा सके।” मोदी ने विशेष तौर पर आग्रह किया कि...
More »पर्यावरण रक्षक खेती है बारहनाजा - बाबा मायाराम
इन दिनों दिल्ली में किसान आंदोलन चल रहा है। खेती-किसानी की चर्चा चल रही है। इस समय तीन नए कृषि कानून व न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा खेती के व्यापक पहलुओं पर भी बात करना भी जरूरी है। मिट्टी- पानी, जैव विविधता व पर्यावरण रक्षक खेती की चर्चा भी जरूरी है। इनमें से एक है उत्तराखंड की पारंपरिक कृषि पद्धति है, जो मिट्टी-पानी व जैव विविधता का संरक्षण करते हुए...
More »कब मिलेगी प्रवासी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा?
-न्यूजक्लिक, वैसे तो अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत प्रवासी मजदूरों के कल्याण के संरक्षण को लेकर कई कानून मौजूद हैं, लेकिन वे शायद ही कभी अमल में लाये जाते हैं। एक आदिवासी प्रवासी महिला की मौत ने जो कि भिवंडी के नजदीक धान के खेतों में काम करती थी, की मौत ने प्रवासी मजदूरों की सामजिक सुरक्षा की जरूरत को एक बार फिर से रेखांकित किया है। चालीस वर्षीया चन्द्राबाई थालेकर, जिनके तीन...
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