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टीबी ने बढ़ाया आदिवासियों में कोरोना का खतरा, राष्ट्रीय औसत से भी अधिक आंकड़ा

-जनपथ, भारत में लगभग 12 करोड़ लोग विभिन्न आदिवासी समूहों से हैं। इनमें से अधिकांश को कोई न कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हैं। भारत में मलेरिया के कुल प्रकरणों में लगभग एक-तिहाई आदिवासी बहुल इलाकों में से आते हैं। वर्ष 2018 में स्वास्थ्य एवं आदिवासी मामलों के मंत्रालयों द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने आदिवासी स्वास्थ्य को लेकर सौंपी गई रिपोर्ट में कहा था कि बड़ी संख्या में आदिवासी कुपोषण से...

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कोरकू आदिवासी बहुल मेलघाट की पहाड़ियों पर कोरोना से ज्यादा कोरोना के टीके से दहशत!

-न्यूजक्लिक, अमरावती (महाराष्ट्र): "यहां यदि आप कोरोना के बारे में बातचीत करेंगे तो पता चलेगा कि लोग सरकारी अस्पताल जाने को तैयार नहीं हैं। कारण यह है कि लोगों को लगता है कि उन्होंने कोरोना का इलाज यदि सरकारी अस्पताल में कराया तो डॉक्टर उन्हें जिला अस्पताल अमरावती भेज देंगे, जहां उनका कोई इलाज नहीं होगा और वहां उन्हें बीमार रखे-रखे मार दिया जाएगा। फिर मौत के बाद उनकी लाश तक घर...

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'पूरे परिवार की जिम्मेदारी है, दोबारा फिर नौकरी चली गई है, अब बस भगवान का ही भरोसा है'

-गांव कनेक्शन, कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए देश के ज्यादातर राज्यों में लॉकडाउन लगा है, कहीं आंशिक तो कहीं पूरी तरह से। ज्यादातर राज्य सरकारों ने कुछ शर्तों के साथ उद्योग-धंधों को काम जारी रखने में ढील दी है, बावजूद इसके लोगों की नौकरियां जा रही हैं। छोटे-मोटे कारोबार बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा कि अप्रैल 2021 में ही लाखों लोगों...

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लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को रोका जा सकता था

-द वायर, अप्रैल-मई 2020 में राष्ट्रीय लॉकडाउन से लोगों के रोजगार और आय पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा. उदाहरण के लिए, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सेंटर फॉर इकोनॉमिक परफॉरमेंस के द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग आधे शहरी कामगारों ने उस अवधि के दौरान कोई आय अर्जित नहीं की. कई सार्वजनिक सेवाएं भी कम या बंद कर दी गईं. इसमें नियमित स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं. लॉकडाउन के दौरान...

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कोरोना वायरसः क्या सामान्य ज़िंदगी जीने के दिन लौट आए?

-बीबीसी, सरकार और मीडिया क्या कोरोना वायरस को लेकर ज़रूरत से ज़्यादा गंभीरता दिखा रहे हैं? क्या अब हमें आगे एक सामान्य जीवन की ओर बढ़ जाना चाहिए? - ये बड़े सवाल हैं. अर्थव्यवस्था की बुरी हालत को देखते हुए इस पर कुछ गौर करने की ज़रूरत है. यहां कुछ सकारात्मक बातें करते हैं. इससे कोविड-19 ख़त्म हो चुका है- जैसी सोशल मीडिया पर आजकल खूब दिखने वाले वाली राय को प्रोत्साहित...

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