मोंगाबे हिंदी, 20 सितम्बर जम्मू-कश्मीर में सरकार की ओर से बनाए जा रहे तवी रिवरफ्रंट को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी चिंता जताई है कि इससे पर्यावरण को खतरा है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बुरे होते जा रहे हैं। रुपये 530 करोड़ के खर्च से बनाए जा रहे इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भूजल से स्रोतों को जिंदा करना है। इसके लिए कृत्रिम झीलें बनाई जा रही हैं और उनके साथ ही...
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क्या बिना सहमति के चल रहा है इफको का अमोनिया संयंत्र, एनजीटी ने जांच के दिए निर्देश
डाउन टू अर्थ, 20 सितम्बर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा किए गए प्रदूषण के आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय निरीक्षण समिति के गठन का निर्देश दिया है। मामला उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के फूलपुर का है। कोर्ट के निर्देशानुसार इस संयुक्त निरीक्षण समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी), केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) और प्रयागराज के जिला...
More »हिमाचल प्रदेश में विनाश के लिए कितनी जिम्मेवार हैं विकास परियोजनाएं?
डाउन टू अर्थ, 13 जुलाई विकास के नाम पर पर्यावरण और पारिथितिकी के साथ किए जा रहे खिलवाड़ का नतीजा पिछले तीन दिनों में हिमाचल में देखने को मिला है। पिछले तीन दिनों में हिमाचल में 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपति को नुकसान पहुंचा है। यदि मॉनसून सीजन की बात करें तो 16 दिनों में हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं में 72 से अधिक जानें चली गई हैं। लेकिन...
More »हिमालय क्षेत्र के भविष्य के लिए ज़रूरी हैं नेचर-बेस्ड सलूशंस
द थर्ड पोल, 21 फरवरी बहुत पुराने वक्त से अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली चुनौतियों का हल निकालने के लिए दुनिया भर में लोग प्रकृति का सहारा लेते आ रहे हैं। हम सबको प्रकृति से पर्याप्त भोजन प्राप्त होता है। पानी मिलता है। प्रकृति के माध्यम से ही जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली आपदाओं से होने वाले नुकसान को सीमित किया जाता है। खराब हो चुके वातावरण को...
More »धंसते जोशीमठ से उठते सवाल, सरकारों ने पहाड़ी राज्य के हिसाब से नहीं बनाया विकास मॉडल
डाउन टू अर्थ, 16 जनवरी जोशीमठ में जो आज हो रहा है उसकी पठकथा तो कई सालों से लिखी जा रही थी, ये प्राकृतिक संसाधनों की लूट का खुला प्ररिणाम है। ये नाजुक परिस्थितिकीतंत्र के ऊपर आर्थिक तंत्र को तबज्जो देने का परिणाम है। हम सब जानते हैं कि हिमालय बहुत नाजुक पर्वतश्रृंखला है और इसका परिस्थितिकीतंत्र अतिसंवेदनशील है। हिमालय सम्पूर्ण दक्षिण एशिया के पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था पर सीधा असर...
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