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कोविड-19 आर्थिक पैकेजः निर्मला सीतारमण के ‘नए ढाँचागत सुधार’ आख़िर कितने नए हैं?

-बीबीसी, वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने पाँच चरणों में 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का पूरा विवरण देश के सामने रखा है. वन नेशन, वन राशन कार्ड के ज़रिए प्रवासी मज़दूरों को उनके काम के ठिकाने पर फ्री अनाज और छोटे-मझोले व्यवसाय के लिए क़र्ज़ में रियायतों के ऐलान किए गए हैं. 'आत्मनिर्भर भारत' पैकेज के तहत बीते शनिवार को किए गए चौथे ऐलान में स्ट्रक्चरल रिफ़ॉर्म यानी संरचनात्मक बदलाव की...

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धान, गेहूं का स्टॉक जरूरत से बहुत ज्यादा, फुल हो चुके हैं गोदाम, किसानों के सामने नया संकट

बजट 2020-21 पेश करते हुए देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों के लिए 16 सूत्रीय फॉर्मूले की घोषणा की थी। 16 सूत्रीय फॉर्मूले में वेयर हाउस और कोल्ड स्टोरेज का भी जिक्र था। वित्त मंत्री ने कहा कि नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) नये वेयर हाउस बनायेगा और इसकी संख्या बढ़ाने के लिए पीपीपी मॉडल को अपनाया जायेगा। ब्‍लॉक स्‍तर पर भंडार गृह बनाये जाने का...

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2017 में हिंसा से भारतीय अर्थव्यवस्था को 80 लाख करोड़ का नुकसान

नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था को क्रय शक्ति क्षमता (पीपीपी) के संदर्भ में हिंसा के कारण पिछले साल देश को 1,190 अरब डॉलर यानी करीब 80 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। यह नुकसान प्रति व्यक्ति के हिसाब से करीब 595.40 डॉलर यानी 40 हजार रुपए से अधिक है। गैर सरकारी संगठन इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने 163 देशों एवं क्षेत्रों का अध्ययन करने के बाद यह...

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बिहार : किफायती आवास के लिए अभी करना होगा इंतजार..

ठंडे बस्ते में योजना, नहीं बढ़ पा रहा काम, स्लम के पुनर्विकास के प्रोजेक्ट भी नहीं हुए चिह्नित पटना :शहरी निकायों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर व निम्न आय वर्ग लोगों को किफायती आवास उपलब्ध कराने की योजना ठंडे बस्ते में है. बिहार सरकार की किफायती आवास और मलिन बस्ती (स्लम) पुनर्वास एवं पुनर्विकास आवास नीति 2017 लागू होने के बाद भी इस वर्ग के लोगों को योजना...

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निजीकरण नहीं वनों का हो कायाकल्प-- रामचंद्र गुहा

पैंतालीस साल पहले अलकनंदा घाटी के ग्रामीणों ने जब जंगल से पेड़ काटकर ले जाने वालों को रोका, तो किसी ने सोचा न होगा कि यहीं से चिपको आंदोलन की नींव पड़ने जा रही है। एक ऐसा किसान आंदोलन, जिसने भारत में वनों के व्यावसायिक दोहन पर सबका ध्यान खींचा। चिपको आंदोलन का ही यह असर था कि वनाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी। गढ़चिरौली, बस्तर, सिंहभूम और पश्चिमी घाट सहित...

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