राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी स्थिति आकलन सर्वेक्षण इस तथ्य को स्थापित करता है कि किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए 'खेती-बाड़ी से शुद्ध आय' के बजाय मजदूरी पर अधिक से अधिक निर्भर हैं. मार्क्सवादी शब्दावली में, सर्वहाराकरण (एक शब्द जिसे हम निर्वासन के लिए शिथिल रूप से उपयोग कर सकते हैं) उस प्रक्रिया...
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एनएसओ सर्वेक्षण: साल 2019 में उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिणी राज्यों में ऋणग्रस्त कृषि परिवारों का अनुपात अधिक है!
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी किया गया था. यह सर्वेक्षण अन्य कई बातों के अलावा फसल वर्ष 2018-19 में किसान परिवारों की आय और वर्ष 2019 में ऋणग्रस्तता (सर्वेक्षण की तारीख) के बारे में सूचित करता है. हाल में जारी की गई इस रिपोर्ट से पहले,...
More »भारत में बीटी कॉटन पर किसान कर रहे ज्यादा खर्च : अमेरिकी अनुसंधानकर्ता
-आउटलुक, अमेरिकी अनुसंधानकर्ता का कहना है कि भारतीय किसान जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) बीटी कॉटन के लिए बीज, उर्वरकों और कीटनाशकों पर ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं जो चिंताजनक है। अमेरिका के वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता ग्लेन डेविस स्टोन ने कहा कि भारत में अब किसान बीज, उर्वरक और कीटनाशक पर अधिक खर्च कर रहे हैं। स्टोन ने कहा कि हमारा निष्कर्ष है कि बीटी कॉटन का प्राथमिक प्रभाव यह होगा कि...
More »राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने की चुनौती-- जयंतीलाल भंडारी
इस समय देश के समक्ष चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान बढ़े हुए राजकोषीय घाटे की चिंताएं मुंह बाए खड़ी हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 6.24 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 प्रतिशत रखा गया था। नवंबर, 2018 के अंत तक यह 7.17 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो बजट अनुमान से करीब 15 प्रतिशत ज्यादा है। इसका...
More »धरातल पर एमएसपी की स्थिति-- अवनीन्द्र नाथ ठाकुर
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) में वृद्धि की और साथ ही किसानों की आय को दोगुनी करने की अपनी प्रतिबद्धता को सामने रखने की कोशिश भी की. इन मूल्यों में वृद्धि की घोषणा भले ही देर से आयी, लेकिन इस दिशा में यह एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है. अब महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या इन मूल्यों में वृद्धि ही किसानों...
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