मोंगाबे हिंदी, 01 मार्च अक्टूबर महीने के आखिरी हफ्ते में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और इसके आसपास के इलाकों को धुंधु की एक जहरीली परत ने ढक लिया था। इसी के साथ हर साल की सर्दियों के साथ शुरू होने वाले प्रदूषण के मौसम की शुरुआत हुई थी। सरकार के हालिया निर्देशों के मुताबिक, आने वाले भविष्य में भी वायु प्रदूषण के स्तर में कोई राहत नहीं मिलने वाली है और...
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नाइट्रोजन प्रदूषण से बढ़ता जल संकट, भारत में पहले ही गंभीर रूप ले चुकी समस्या
डाउन टू अर्थ, 09 फरवरी एक नए अध्ययन से पता चला है कि बढ़ते नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते अगले 26 वर्षों में दुनिया भर में पानी की भारी किल्लत हो सकती है। वैज्ञानिकों का अंदेशा है कि 2050 तक वैश्विक स्तर पर नदियों के एक तिहाई उप-बेसिनों को नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते साफ पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने चेताया है कि पानी की यह कमी...
More »भागलपुर, सहरसा में गैस चैम्बर से हुए हालात, दिल्ली में भी 400 के करीब पहुंचा एक्यूआई
डाउन टू अर्थ, 01 फरवरी भागलपुर-सहरसा में बढ़ता प्रदूषण आपात स्थिति में पहुंच गया है। इन दोनों शहरों में हालात यह है कि लोगों के लिए सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। ऐसा लगता है कि वो किसी गैस चैम्बर में रह रहे हैं। भागलपुर में बढ़ते प्रदूषण का आलम यह है कि वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 432 पर पहुंच गया है। इसी तरह सहरसा में भी एक्यूआई...
More »पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वैश्विक खतरा हैं जैव आक्रमण
मोंगाबे हिंदी, 30 जनवरी आक्रमणकारी प्रजातियों का प्रसार जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं के सामने मौजूद पांच बड़े खतरों में से एक है। ऐसे जानवर, पौधे, कवक और सूक्ष्म जीव जो कि खुद को अपने प्राकृतिक आवास के बाहर ऐसी जगह पर खुद को विकसित करते हैं जहां कि वे स्थानीय जैव विविधता नकारात्मक असर डालते हैं, उनके बारे में उतनी चर्चा नहीं होती है जितनी कि जलवायु परिवर्तन,...
More »प्रदूषण रहित ईंधन से चलने वाले चूल्हों के नाम पर हो रहा है खेल: रिपोर्ट
डाउन टू अर्थ, 30 जनवरी रिसर्च से पता चला है कि क्लीन कुकस्टोव के जलवायु पर पड़ते सकारात्मक प्रभावों को परियोजनाएं 10 गुना बढ़ा चढ़ाकर बता रही हैं, ऐसे में अध्ययन का दावा है कि कमजोर तबके को जहरीले धुएं से बचाने की यह लोकप्रिय योजना, उत्सर्जन के त्रुटिपूर्ण आंकलन के चलते कमजोर हो रही है। गौरतलब है कि कमजोर देशों में खाना पकाने के साफ-सुथरे साधनों के लिए जद्दोजहद करते लोगों...
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