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पंजाब: किसानों के लिए आफत बना खरीफ सीजन,बाढ़ के बाद अब कीटों का हमला!

गाँव सवेरा, 18 सितम्बर पहले जुलाई में बारिश के कारण किसानों की 2 लाख एकड़ से अधिक धान और बासमती की फसल को भारी नुकसान हुआ. फिर अगस्त में, हिमाचल प्रदेश में मानसून के कारण अधिकारियों को भाखड़ा बांध से अतिरिक्त पानी छोड़ना पड़ा, जिसके चलते पंजाब में बड़े पैमाने पर खेती कई दिनों तक पूरी तरह से पानी में डूबी रही और अब सितंबर में धान की फसल कीटों के...

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रबर किसानों ने केंद्र की कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ जंतर-मंतर पर जताया विरोध!

गाँव सवेरा, 15 सितम्बर अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) से जुड़े केरल, त्रिपुरा, तमिलनाडु और कर्नाटक के सैकड़ों रबर किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया और संसद तक मार्च किया. धरने के दौरान किसान नेताओं ने शिकायत की कि सरकार की नीतियों की वजह से रबर किसानों के सामने अभूतपूर्व संकट पैदा हो गया है. उन्होंने ने भाजपा और कांग्रेस की...

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पंजाब: फ़सलों की तबाही व क़र्ज़ की दोहरी मार झेलते किसान

पारी हिंदी, 14 सितम्बर बलदेव कौर (70) ने ज़मींदोज़ हो चुके मकान के मलबों के बीच से किसी तरह अपना रास्ता बनाया. ये मलबे उनके खेत में बने उस मकान के थे जो कभी उनके परिवार का घर हुआ करता था. कमरों की जो दीवारें अभी भी खड़ी थीं उनमें बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी थीं. “जब धुआंधार बारिश हो रही थी और छत पर ओले गिर रहे थे, तो वह पूरी रात...

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किसानों के लिये टमाटर का भाव 2 रुपये किलो, सड़क पर फेंकने को मजबूर!

गाँव सवेरा, 14 सितम्बर  टमाटर जो दाम बढ़ने के कारण महीने पहले लोगों की रसोई से गायब हो चुका था, अब इतना सस्ता हो गया है कि किसान खेत से मंडी ले जाने का भी खर्च नहीं निकाल पा रहे हैं और टमाटर सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं. महंगाई में उछाल के चलते महीने पहले कुछ मंडियो में लगभग ₹8000 प्रति क्विंट बिकने वाला टमाटर आज ₹200-300 प्रति क्विंटल तक...

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दालों के बढ़ते दाम के बीच पढ़‍िए भारत में दलहन फसलों की उपेक्षा की पूरी कहानी

किसान तक , 17 अगस्त इसमें कोई शक नहीं क‍ि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक है. लेक‍िन, इसमें भी कोई शक नहीं है क‍ि हम बड़े दाल आयातक भी हैं. सवाल यह है क‍ि ऐसा विरोधाभास क्यों? जवाब यह है क‍ि बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के ल‍िए दलहन फसलों की ज‍ितनी खेती होनी चाह‍िए थी, उस गत‍ि से रफ्तार नहीं बढ़ी. आजादी के बाद से ही...

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