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बंद पड़े कोयला बिजली संयंत्रों का अधिग्रहण करना एनटीपीसी के लिए हो सकता है फायदे का सौदा: रिपोर्ट

मोंगाबे हिंदी, 26 जुलाई ऊर्जा बाजारों पर शोध करने वाली संस्था, इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंसियल एनालिसिस (आईईईएफए) की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) को नए कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट बनाने के बजाय बंद पड़े थर्मल प्लांटों का अधिग्रहण करना चाहिए जो भारत की अल्पकालिक ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करेंगे और ऋणदाताओं, मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बैलेंस शीट में सुधार...

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जलवायु संकट: कई भारतीय शहरों के लिए गंभीर खतरा बना समुद्र का बढ़ता जलस्तर

डाउन टू अर्थ , 13 मार्च जलवायु में आते बदलावों के चलते जिस तरह समुद्र के जलस्तर में वृद्धि हो रही है वो भारत के कई बड़े शहरों के लिए खतरा पैदा कर सकती है। ऐसे में इस आपदा से बचने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। इस बारे में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि समुद्र के बढ़ते जलस्तर के चलते सदी के अंत तक चेन्नई...

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सांभर झील में अधिक बारिश और अवैध नमक खनन के कारण 2019 में कैसे बड़े पैमाने पर पक्षियों की हुई मौत

दिप्रिंट,  10 मार्च राजस्थान में 2019 में एवियन की मृत्यु के चार साल बाद – जहां नवंबर में बड़े पैमाने पर एवियन बोटुलिज़्म के कारण सांभर साल्ट लेक में लगभग 23,000 पक्षियों की मौत हो गई थी वहां वैज्ञानिकों ने पाया है कि अत्यधिक वर्षा के कारण जहरीले बैक्टीरिया में अप्रत्याशित वृद्धि हुई, जिसने उन्हें मार डाला. यह भारत में एवियन बोटुलिज़्म के कारण पहली दर्ज की गई सामूहिक मृत्यु दर घटना...

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कृषि में डिजिटलाइजेशन पर किसान संगठनों के पदाधिकारियों का मंथन, कहा डाटा का इस्तेमाल किसान हित में हो

रूरल वॉयस, 23 नवम्बर कृषि में डिजिटलाइजेशन के विषय पर 21 और 22 नवंबर को दिल्ली में देश के अनेक किसान संगठनों ने सामूहिक चर्चा की। चर्चा में सभी किसान संगठनों ने कृषि में डिजिटलीकरण के बारे में गंभीर चर्चा की और उसके विभिन्न पहलुओं पर अपनी राय व्यक्त की। कई संगठनों के पदाधिकारियों का मत था कि जब तक डाटा की सुरक्षा का कानूनी ढांचा तैयार नहीं होता तब तक...

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मिल्क बॉयकाट, धरना- कैसे मालधारियों के आगे गुजरात सरकार को ‘काले’ मवेशी कानून मामले में झुकना पड़ा

दिप्रिंट, 27 सितम्बर गुजरात में काफी शक्तिशाली माने जाने वाले मालधारी समुदाय को भूपेंद्र पटेल सरकार को विवादास्पद आवारा पशु नियंत्रण विधेयक, या उनके शब्दों में एक काले बिल की वापसी के लिए बाध्य करने में छह महीने लग गए. और इस मामले में दबाव बनाने की पुरानी रणनीतियां ही उनके काम आईं, जिसमें मिल्क बॉयकाट, राजनीतिक स्तर पर चेताना, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन और व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप्स जैसे सोशल...

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