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नरेंद्र मोदी के लिए राजनीतिक मुसीबत बन सकती है सरकारी संपत्तियों की थोक बिक्री

-द वायर, राजनीतिक-आर्थिक सुधारों के प्रति रवैये की बात करें, तो 2021 के नरेंद्र मोदी, 2015 के नरेंद्र मोदी से काफी अलग नजर आते हैं. इन दो अलग-अलग रवैयों के पीछे के कारण और प्रेरणाएं अपने आप में अध्ययन का विषय हैं. 2015 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के ड्राफ्ट बजट प्रस्तावों को यहां याद किया जा सकता है. उस समय के सुधारों का केंद्रबिंदु आखिरकार सरकार के नियंत्रण में रह जानेवाले...

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पंचतत्व: देवास ने मिट्टी से जल संकट का समाधान निकाल कर कैसे बुझायी अपनी प्यास

-जनपथ, मध्य प्रदेश में एक इलाका है मालवा. बेहद संपन्न, बेहद उपजाऊ, पर मालवा का देवास जिला इसकी संपन्नता का ठीक उलट था. वजह- गहरा जल संकट. इस इलाके में जलसंकट सन 2000 वाले दशक में इतना विकट था कि शहर में जलापूर्ति ट्रेनों के जरिये की जाने लगी थी. खेती चौपट हो गई और किसानों को साल भर में महज एक ही फसल मिल रही थी. पानी के संकट ने...

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आवरण कथाः कहीं डूब न जाए पूरा वित्तीय तंत्र

-इंडिया टूडे, लगातार देश का बैंकिंग क्षेत्र अमूमन बुरी खबरों से ही सुर्खियों में उछला रहता है. वजहें: डूबत कर्ज (जिसे बैंकों की शब्दावली में गैर-निष्पादित संपत्तियां या एनपीए कहा जाता है) के बढ़ते अंबार से लेकर निपट धोखाधड़ी, क्रोनी कैपिटलिज्म और न जाने क्या-क्या. यह बीमारी तेजी से फैलती जा रही है, जिसमें छोटे-बड़े और कुछ नामधारी बैंक भी हैं. तो, यह सड़न सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तक सीमित...

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अर्थातः सबसे बड़ी सेल, संपत्ति बेचकर राजस्व जुटाने के अलावा सरकार के पास कोई रास्ता नहीं बचा है

-इंडिया टूडे, गरज भारत सरकार की! मौका मोटी जेब वालों के लिए! माल चुनिंदा और शानदार! मंदी के मौके पर भारी डिस्काउंट. एक एयरलाइंस, आधा दर्जन एयरपोर्ट, तेल व गैस पाइपलाइन, बंदरगाहों पर टर्मिनल, रेलवे स्टेशन, ट्रेनें, हाइवे और रेलवे कॉरिडोर के हिस्से, बिजली ट्रांसमिशन लाइनें... बहुत कुछ बिकने वाला है. अफसरों की समितियां, नीति आयोग की मदद से बेचने के तौर तरीके तय करने में लगी हैं. मुहिम नतीजे तक पहुंची...

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अर्थात‍ः राहत ऐसी होती है !

-इंडिया टूडे, मुंबई में दो साल तक काम करने के बाद, सि‍तंबर 2019 में कीर्ति की मेहनत कामयाब हुई, जब उसे लंदन की मर्चेंट बैंकिंग फर्म में नौकरी मिल गई. वह लंदन को समझ पाती इससे पहले कोविड आ गया. नौकरी खतरे में थी. लेकिन अप्रैल में ही उसकी कंपनी सरकार की जॉब रि‍टेंशन स्कीम (नौकरी बचाओ सब्सिडी) में शामिल हो गई. पगार कुछ कटी लेकिन नौकरी बच गई.  बहुत नुक्सान...

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